लाल किताब में धातुओं के छल्ले को पहनने का उल्लेख मिलता है। लाल किताब के अनुसार कुंडली की जांच करने के बाद ही लोहे, चांदी, तांबे या सोने का छल्ला पहना चाहिए अन्यथा इसके विपरित प्रभाव भी हो सकते हैं। छल्ला अर्थात खालिस धातु की रिंग। खालिस अर्थात जिसकी किसी भी प्रकार से कोई रत्न या नग ना लगा हो। आओ जानते हैं कि किसी छल्ले का क्या महत्व है।
1. चांदी का छल्ला : कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो खालिस चांदी का छल्ला मददगार होगा। ऐसे में लोहे का छल्ला धारण करना नुकसानदायक हो सकता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में चंद्र ग्रह अशुभ फल देता है उन व्यक्तियों को चांदी धारण करना चाहिए। जिन लोगों की मानसिक स्थिति ठीक नहीं रहती, मन विचलित रहता है, दिल और दिमाग में तालमेल नहीं बन पाता तो उन्हें चांदी धारण करना चाहिए।
2. लोहे का छल्ला : जब बुध और राहु हो तो छल्ला बेजोड़ खालिस लोहे का होगा। मतलब यह कि तब लोहे का छल्ला अंगुली में धारण करना चाहिए। यदि बुध यदि 12वें भाव में हो या बुध एवं राहु मुश्तर्का या अलग अलग भावों में मंदे हो रहे हों तो यह छल्ला जिस्म पर धारण करेंगे तो मददगार होगा। ज्योतिष्य शास्त्र के अनुसार लोहे को शनि की धातु मानी जाती है
12वां भाव, खाना या घर राहु का घर भी है। खालिस लोहे का छल्ला बुध शनि मुश्तर्का है। बुध यदि 12वें भाव में है तो वह 6टें अर्थात खाना नंबर 6 के तमाम ग्रहों को बरबाद कर देता है। अक्ल (बुध) के साथ अगर चतुराई (शनि) का साथ नंबर 2-12 मिल जावे तो जहर से मरे हुए के लिए यह छल्ला अमृत होगा। मतलब किस्मत को चमका देगा। ऊपर यह स्पष्ट हो गया है कि कुंडली में सूर्य, शुक्र और बुध मुश्तर्का हो तो लोहे का छल्ला नहीं पहनना चाहिए। दूसरा यह कि जिस की कुंडली में शनि ग्रह उत्मम फल दे रहा हो उसे भी यह छल्ला नहीं पहनना चाहिए।
3. तांबे का छल्ला : यदि आपकी कुंडली में सूर्य कमजोर है तो तांबे का छल्ला धारण कर लेना चाहिए। तांबे के छल्ले को ना सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद बताया गया है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक एक तांबे का छल्ला पहनकर आप सूर्य से संबंधित सभी रोगों से काफी हद तक निजात पा सकते हैं। इसके अलावा यह शुक्र को भी कंट्रोल में करता है। तांबा शरीर का रक्त संतुलन ठीक रहता है। तांबे का छल्ला पहनने से महिलाओं को मासिक धर्म में अनियमितता की समस्या नहीं होती है। ब्लड प्रेशर भी सही रहता है।
4. सोने का छल्ला : आपका लग्न मेष, कर्क, सिंह और धनु है तो आपके लिए सोना धारण करना उत्तम होगा। वृषभ, मिथुन, कन्या और कुंभ लग्न के लिए सोना धारण करना उत्तम नहीं होता है। तुला और मकर लग्न के लोगों को सोना कम ही पहनना चाहिए। वृश्चिक और मीन लग्न के लोगों के लिए सोना पहनना मध्यम है। जिनकी कुंडली में बृहस्पति खराब हो या किसी भी प्रकार से दूषित हो ऐसे लोगों को भी सोने के प्रयोग से बचना चाहिए। यह धातु स्वास्थ्य, समृद्धि और विकास से जुड़ी होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि सोना पहनने से और ज्यादा स्मृद्धि आती है। एवं सोने धारण करने से व्यक्ति निरोगी होता है और लंबी आयु प्राप्त करता है। यदि किसी की कुंडली में बृहस्पति दोष है तो सोना धारण करने से उसकी कुंडली का दोष समाप्त हो जाता है।
5. पीतल का छल्ला : शास्त्रों में सोने की तरह ही पीतल का प्रभाव बताया गया है। गुरु और सूर्य संबंधी परेशानी इससे दूर होती है। यह शांति और समृद्धि प्रदान करता है। यदि किसी की कुंडली में बृहस्पति दोष है तो पीतल धारण करने से उसकी कुंडली का दोष समाप्त हो जाता है।
6. कांसा : कांसे का छल्ला शरीर के अनेक रोगों को मिटाता है।
7. स्टील : स्टील का रिश्ता मंगल से होता है। और अगर आपके आस पास नकारात्मक ऊर्जा है तो स्टेनलेस स्टील का छल्ला पहनेंगे तो अच्छा रहेगा।