प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। इस तरह 24 चतुर्थी और प्रत्येक तीन वर्ष बाद अधिमास की मिलाकर 26 चतुर्थी होती है। सभी चतुर्थी की महिमा और महत्व अलग-अलग है। चतुर्थी के दिन कुछ वर्जित कार्य भी रहते हैं। आओ जानते हैं।
1. अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
2. चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है। चतुर्थी खला तिथि हैं। तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। अतः इसमें शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
3. यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के 'रिक्ता' होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है।
4. भगवान गणेशजी को चतुर्थी तो क्या किसी भी दिन तुलसी नहीं चढ़ाना चाहिए।
5. इस दिन प्याज, लहसुन, शराब और मांस का सेवन नहीं करना चाहिए।
7. भगवान गणेश के इस पवित्र दिन पर शारीरिक संबंध बनाना वर्जित माना जाता है।
8. चतुर्थी के दिन किसी भी पशु या पक्षी को न तो सताना चाहिए और न ही मारना चाहिए।
9. इस दिन किसी बुजुर्ग या ब्राह्मण का अपमान नहीं करना चाहिए। वैसे तो किसी भी दिन नहीं करना चाहिए।
10. चतुर्थी के दिन झूठ बोलने से नौकरी और व्यापार में नुकसान होता है।