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धन या लक्ष्मी प्राप्ति के लिए कौनसे मंत्र, स्तोत्र, अष्टकम, उपाय और चालीसा का पाठ करना चाहिए?

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 5 दिसंबर 2024 (15:01 IST)
Lakshmi prapti ke upay: कहते हैं कि अर्थ बिना सब व्यर्थ है। अर्थ यानी धन। इस युग में धन के बगैर काम नहीं चलता और धन की देवी है विष्णु प्रिया मां लक्ष्मी। यदि माता लक्ष्मी रूठ जाए तो फिर व्यक्ति कंगाल हो जाता है। यदि आप कर्ज से परेशान हैं, आर्थिक संकट गहरा गया है या धन की कमी है तो लक्ष्मी प्राप्ति के शास्त्र सम्मत सरल उपाय जानिए। इनमें से आप कोई सा भी एक उपाय आजमा कर उसे नित्य करते रहेंगे तो धीरे धीरे आपको धन की प्राप्ति होने लगेगी।
 
1. महालक्ष्मी की पूजा और व्रत : प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है। साथ ही इसका समापन आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस व्रत का विधिवत रूप से पालन करें। इसके अलावा आप शुक्रवार के दिन महालक्ष्मी का पूजन करें। शुक्रवार को लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाकर मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें उन्हें कमल का फूल अर्पित करें। यदि मंदिर नहीं जा सकते हैं तो घर में भी विधिवत पूजा करें और उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाएं। माता लक्ष्मी के साथ ही विष्णु, शालिग्राम और तुलसी की पूजा भी करें।  शुक्रवार का व्रत करें और इस दिन खटाई बिल्कुल न खाएं। सूर्यास्त के बाद भोजन कर सकते हैं। विधि विधान से व्रत का उद्यापन भी करें।
 
2. श्रीसूक्त का पाठ : प्रतिदिन घर में श्रीसूक्त का पाठ करें। प्रतिदिन नहीं कर सकते हैं तो प्रति शुक्रवार को इसका विधिवत पाठ करें। शुक्रवार के दिन सुबह उठते ही मां लक्ष्मी को नमन कर, स्नान कर स्वच्छ सफेद या गुलाबी वस्त्र धारण करें। इसके बाद श्रीयंत्र एवं मां लक्ष्मी के चित्र के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ करें। फिर कमल का पुष्प मां लक्ष्मी को अर्पित करें।
3. मंत्र : माता लक्ष्मी के मंत्र ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद। श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः॥... इस मंत्र की कमलगट्टे की माला से प्रतिदिन जप करने से लाभ होगा। इसके अलावा दरिद्रता नाशक लक्ष्मी मंत्र या दरिद्रता नाशक हनुमान मंत्र का जप भी कर सकते हैं।
 
धन प्राप्ति के मंत्र
1.
देवानां च ऋषिणां च गुरुं काञ्चनसन्निभम्। बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः। ह्रीं गुरवे नमः। बृं बृहस्पतये नमः।
 
2.
हिमकुन्दमृणालाभं दैत्यानां परमं गुरुम। सर्वशास्त्रप्रवक्तारं भार्गवं प्रणमाम्यहम।।
ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः। ह्रीं शुक्राय नमः। शुं शुक्राय नमः।
 
4. यंत्र पूजा : श्री यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, धन वर्षा यंत्र, व्यापार वृद्धि यंत्र, महालक्ष्मी यंत्र, नवग्रह यंत्र, धनवर्षा यंत्र, लक्ष्मी-कुबेर यंत्र में से कोई सा भी एक यंत्र बनाएं और उसकी नित्य पूजा करें। घर के ईशान कोण में श्री यंत्र को ताम्र पत्र, रजत पत्र या भोज पत्र पर बनवाकर रखें। फिर उनमें प्राण प्रतिष्ठा करने के बाद उसकी पूजा करें। 
 
5. स्तोत्र और श्लोक का जाप:-
माता लक्ष्मी के कई स्तोत्र हैं और उनके कई श्लोक भी हैं। आप चाहें तो उन्हें आजमाकर भी आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। स्तोत्र में महालक्ष्मी अष्टकम, महालक्ष्मी कवच, कनकधारा स्तोत्र, नारायण कवच आदि में से किसी एक का पाठ कर सकते हैं। इसके अलावा शिवजी का लिंगाष्टकम का पाठ भी कर सकते हैं। 
 
6. वास्तु दोष करें दूर : घर में यदि कोई वास्तु दोष है तो उसे दूर करें। घर की उत्तर और आग्नेय दिशा को शुद्ध और पवित्र बनाएं।
 
7. स्नान और दान : नित्य अच्‍छे से नहाएं। शरीर को जरा भी गंदा न रखें। नहाते समय सुगन्धित इत्र या सेंट का उपयोग करें। पवित्र बने रहें। किसी गरीब को शुक्रवार के दिन सफेद वस्त्र दान करें और भोजन कराएं। इसके अलावा काली चींटियों शक्कर मिलाकर आटा और गाय को हरा चारा खिलाएं। 
 
8. अखंड ज्योत : मां लक्ष्मी की प्रतिमा के सामने 11 दिनों तक अखंड ज्योत (तेल का दीपक) प्रज्ज्वलित करें। 11वें दिन 11 कन्या को भोजन कराकर एक सिक्का व मेहंदी दें।
 
9. माता का भोग : शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के मंदिर जाकर शंख, कौड़ी, कमल, मखाना, गन्ना, बताशा अर्पित करें। ये सब महालक्ष्मी मां को बहुत प्रिय हैं। 
 
10. पीपल पूजा : शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष की छाया में खड़े रहकर लोहे के बर्तन में जल, चीनी, घी तथा दूध मिलाकर पीपल के वृक्ष की जड़ में डालें। पीपल में श्रीहरि विष्णु एवं मां लक्ष्मी का वास होता है।

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