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क्यों मनाई जाती है चंपा षष्ठी, जानें पौराणिक कथा

हमें फॉलो करें क्यों मनाई जाती है चंपा षष्ठी, जानें पौराणिक कथा

WD Feature Desk

, बुधवार, 4 दिसंबर 2024 (16:31 IST)
champa shashti ki pauranik katha: चंपा षष्ठी पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। कार्तिकेय अरब के यजीदी जाति के प्रमुख देवता माने जाते हैं तथा ये लोग भी इनका पूजन करते हैं। कहा जाता है कि उत्तरी ध्रुव के निकटवर्ती प्रदेश उत्तर कुरु के क्षे‍त्र इन्होंने स्कंद नाम से शासन किया था। शिव के दूसरे पुत्र तथा उनके मार्कंडेय स्वरूप और भगवान कार्तिकेय का पूजन किया जाता है। 
 
चंपा षष्ठी क्यों मनाई जाती है : कार्तिकेय की पूजा मुख्यत: दक्षिण भारत में होती है, जहां उन्हें सुब्रमण्यम, मुरुगन और स्कंद भी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार षष्ठी तिथि को कार्तिकेय भगवान का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन उनकी पूजा का विशेष महत्व है। और इसी कारण चंपा षष्ठी मनाई जाती है। मान्यतानुसार स्कंद षष्ठी या चंपा षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के मंत्र का जाप व पूजन भी किया जाना चाहिए। यह तिथि समस्त दुख, कष्टों के नाश करने वाली मानी गई हैं। अत: मार्गशीर्ष शुक्ल षश्ठी पर भगवान कार्तिकेय की आराधना करने से सभी तरह के कष्‍टों से मुक्ति मिलती है। 
 
उनके जन्म की कथा बड़ी ही विचित्र है। आइए यहां पढ़ें प्रमुख कथाएं
 
पहली कथा के अनुसार जब पिता दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती 'सती' कूदकर भस्म हो गईं, तब शिव जी विलाप करते हुए गहरी तपस्या में लीन हो गए। उनके ऐसा करने से सृष्टि शक्तिहीन हो गई थी और इस मौके का फायदा दैत्य उठाते हैं और धरती पर दैत्य तारकासुर का चारों ओर आतंक फैल जाता है। देवताओं को पराजय का सामना करना पड़ता है। 
 
चारों तरफ हाहाकार मच जाता है, तब सभी देवता ब्रह्मा जी से प्रार्थना करते हैं। तब ब्रह्मा जी कहते हैं कि तारक का अंत शिव पुत्र करेगा। इंद्र और अन्य देव भगवान शिव के पास जाते हैं, तब भगवान शंकर 'पार्वती' के अपने प्रति अनुराग की परीक्षा लेते हैं और पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होते हैं और इस तरह शुभ घड़ी और शुभ मुहूर्त में शिवजी और पार्वती का विवाह हो जाता है। इस प्रकार कार्तिकेय का जन्म होता है। कार्तिकेय तारकासुर का वध करके देवों को उनका स्थान प्रदान करते हैं। 
 
दूसरी कथा के अनुसार कहा जाता है कि कार्तिकेय का जन्म छ: अप्सराओं के 6 अलग-अलग गर्भों से हुआ था और फिर वे 6 अलग-अलग शरीर एक में ही मिल गए थे।
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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