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chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन कब होगा चंद्रोदय?

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हमें फॉलो करें chaturthi 2025: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन कब होगा चंद्रोदय?

WD Feature Desk

, शनिवार, 15 फ़रवरी 2025 (10:40 IST)
Sankashti Chaturthi Sunday: द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित है, जो सभी बाधाओं को दूर करने वाले और रिद्धि-सिद्धि के दाता हैं। इस दिन व्रत रखकर और विधि-विधान से पूजा करके भगवान गणेश को प्रसन्न किया जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस बार फरवरी के महीने में फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी यानि द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रविवार, तारीख 16 फरवरी 2025 को पड़ रहा है।ALSO READ: महाशिवरात्रि पर शिवलिंग पर भूलकर भी ना चढ़ाएं ये चीजें, रह जाएंगे भोलेनाथ की कृपा से वंचित
 
हिन्दू पंचांग के अनुसार हर चंद्र माह में दो चतुर्थी तिथियां पड़ती हैं। जिसमें पूर्णिमा के बाद यानि कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी तथा अमावस्या के पश्चात की  शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। अत: फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इसमें संकष्टी का अर्थ, समस्त संकट से मुक्ति मिलना होता है। 
 
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर चौघड़िया मुहूर्त 2025 : Dwijpriya Sankashti Chaturthi Muhurat 2025
 
दिल्ली समयानुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी रविवार, फरवरी 16, 2025 को
फाल्गुन कृष्ण चतुर्थी तिथि का प्रारम्भ- फरवरी 15, 2025 को अपराह्न 11 बजकर 52 मिनट से।
चतुर्थी तिथि की समाप्ति- फरवरी 17, 2025 को अर्द्धरात्रि 02 बजकर 15 मिनट पर।
संकष्टी के दिन चन्द्रोदय का समय- रात 09 बजकर 39 मिनट पर। 
 
ब्रह्म मुहूर्त- 05 बजकर 16 ए एम से 06 बजकर 07 ए एम तक।
अभिजित मुहूर्त- 12 बजकर 13 पी एम से 12 बजकर 58 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06 बजकर 10 पी एम से 06 बजकर 35 पी एम तक।
अमृत काल 09 बजकर 48 पी एम से 11 बजकर 36 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02 बजकर 28 पी एम से 03 बजकर 12 पी एम तक।
 
गणेश पूजन विधि: Shri Ganesh Puja Vidhi 
1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ करें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।
 
2. भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र को चौकी पर स्थापित करें।
 
3. लाल पुष्प, अक्षत, दूर्वा, मोदक, धूप, दीप, नैवेद्य फल, मिठाई आदि सामग्री इकट्‍ठा कर लें। 
 
4. सर्वप्रथम श्री गणेश जी को स्नान कराएं।
- फिर उन्हें लाल वस्त्र अर्पित करें।
- इसके बाद उन्हें पुष्प, अक्षत, दूर्वा, मोदक आदि अर्पित करें।
- 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र का जाप करें।
- गणेश स्तुति या अथर्वशीर्ष का पाठ करें। 
- अंत में धूप, दीप चलाकर आरती करें।
- फिर मोदक, नैवेद्य फल, मिठाई आदि सामग्री अर्पित करके श्री गणेश से अपनी मनोकामनाएं कहें।
 
5. - इस दिन पूरे दिन उपवास रखें।
- शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
 
धार्मिक मान्यतानुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में आने वाले सभी संकटों तथा विघ्न और बाधाओं का निवारण हो जाता है।ALSO READ: महाकुंभ से जाते समय नागा साधु क्यों पहन लेते हैं लंगोट? जानें दिलचस्प कारण
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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