साल 2025 ज्योतिषीय रूप से महत्वपूर्ण साल माना जा रहा है, इस साल कई ग्रहों का गोचर में राशि परिवर्तन होगा। इस साल सबसे महत्वपूर्ण गोचर शनि का होने वाला है। लगभग 30 साल बाद शनिदेव गुरु की राशि मीन में गोचर करेंगे जहां 2.5 साल तक विराजमान रहेंगे जिसका प्रभाव देश-दुनिया तथा समस्त सृष्टि पर रहेगा। वर्तमान समय में शनि अपनी मूल त्रिकोण राशि कुंभ में विराजमान है, 29 मार्च 2025 को शनि कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश करेंगे तथा अगले 2.5 साल तक मीन राशि पर रहेंगे।
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शनि की साढ़ेसाती और ढैया : शनि के मीन राशि में प्रवेश करने से मकर राशि वालों पर शनि की साढ़े साती का प्रभाव समाप्त हो जाएगा तथा कर्क एवं वृश्चिक राशि वालों पर से शनि की ढैय्या का प्रभाव समाप्त होगा एवं मेष राशि पर शनि की साढ़े साती प्रारंभ होगी और सिंह तथा धनु राशि वालों पर शनि की ढैय्या का प्रभाव प्रारंभ होगा।
देश और दुनिया पर प्रभाव: शनि ग्रह को ज्योतिष मतानुसार कर्म फल दाता तथा न्याय के देवता कहा जाता है। शनि का राशि परिवर्तन देश और दुनिया पर व्यापक प्रभाव रखने वाला होगा। शनि का मीन राशि में जाना देश-दुनिया के लिए अच्छा नहीं माना जाता। शनि के मीन राशि में जाने से देश-दुनिया में प्राकृतिक घटनाओं में वृद्धि होगी, आगजनी, भूकंप, महामारी तथा युद्ध का माहौल बनेगा तथा देश-दुनिया में भय और अराजकता का माहौल रहेगा। विश्व की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा नुकसान होने की पूरी संभावना है तथा कई देशों में गृहयुद्ध की आशंका होगी।
शनि का प्रभाव समस्त 12 राशि वाले जातकों पर रहेगा जो कि इस प्रकार है:-
2. वृषभ राशि: वृषभ राशि वालों के लिए शनि का गोचर एकादश भाव में होगा। इन राशि वालों के लिए शनि योग कारक ग्रह माने जाते हैं। अतः वृषभ राशि वालों के लिए आने वाले 2.5 साल बहुत अच्छे रहने वाले हैं। इसमें इनके आय के स्रोत बढ़ेंगे तथा रोजगार के नए अवसर प्राप्त हो सकते हैं। वृषभ राशि वालों को संतान की चिंता रहेगी अथवा संतान से मतभेद हो सकते हैं एवं स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा, आयु पक्ष में वृद्धि होगी।
3. मिथुन राशि: मिथुन राशि वालों के लिए शनि का गोचर दशम भाव में होगा इसके प्रभाव से इन राशि वालों का संबंध अपने पिता से खराब हो सकता है अथवा पिता के स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखना पड़ेगा, कर्म स्थान में शनि का रहना कार्य क्षेत्र में रुकावट का संकेत है अतः कार्य क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है एवं जीवनसाथी से मतभेद हो सकते हैं, मिथुन राशि वालों के लिए विदेश यात्रा के योग बनेंगे।
4. कर्क राशि: कर्क राशि वालों के लिए शनि का गोचर नवम भाव में होगा इसके प्रभाव से जातक का पराक्रम, मान- सम्मान में बढ़ोतरी होगी परंतु भाग्य में रुकावट आ सकती है तथा पिता के साथ में मतभेद हो सकते हैं। शनि के प्रभाव से आय के स्त्रोत में कमी होगी तथा आर्थिक परेशानियां व्यक्ति के जीवन में आ सकती है।
5. कन्या राशि: कन्या राशि वालों के लिए शनि का गोचर सप्तम भाव में होगा इसके प्रभाव से इन राशि वालों का अपने जीवनसाथी से मतभेद, तनाव, अलगाव हो सकता है । शनि के प्रभाव से भाग्य में भी रुकावट आएंगे परंतु कन्या राशि वालों के लिए मकान, संपत्ति का योग बनेगा । सप्तम भाव में शनि के गोचर से इन राशि वालों का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है।
7. तुला राशि: तुला राशि वालों के लिए शनि का गोचर छठे भाव में होगा, छठे भाव में शनि के होने से इन राशि वालों का पराक्रम बढ़ेगा तथा शत्रु पक्ष निर्बल होगा एवं कर्ज से मुक्ति मिलेगी, तुला राशि वालों का स्वास्थ्य शनि के प्रभाव से अच्छा होगा तथा आयु वृद्धि होगी। इन राशि वालों के विदेश यात्रा के योग बनेंगे, परंतु छोटे भाई बहनों से मतभेद हो सकते हैं।
8. वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि वालों के लिए शनि का गोचर अच्छा होगा क्योंकि इन राशि वालों पर से शनि की ढैय्या का प्रभाव समाप्त होगा, मानसिक अशांति से राहत मिलेगी, माता के स्वास्थ्य में सुधार होगा, इन राशि वालों के मकान का योग पूर्ण रूप से बनेगा परंतु संतान की चिंता हो सकती है।
9. धनु राशि: धनु राशि वालों के लिए शनि का गोचर चतुर्थ भाव में होगा, शनि के प्रभाव से इनके ढैय्या प्रारंभ होगी शनि की ढैया से इनकी माता का स्वास्थ्य खराब हो सकता है। मानसिक अशांति हो सकती है तथा आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, माता के स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखें।
10. मकर राशि: मकर राशि वालों के लिए शनि का गोचर तृतीय स्थान में होगा । शनि का गोचर मकर राशि वालों के लिए विशेष फल देने वाला होगा । इस राशि वालों पर से शनि की साढ़े साती का प्रभाव समाप्त होगा जिससे उनके पराक्रम में वृद्धि होगी, भाग्य का पूरा साथ मिलेगा, आर्थिक स्थिति में सुधार होगा तथा कर्ज से मुक्ति मिलेगी।
12. मीन राशि: मीन राशि वालों के लिए शनि का गोचर लग्न भाव में होगा। इसके प्रभाव से उनके जीवनसाथी के साथ में मतभेद हो सकते हैं। मानसिक अशांति हो सकती है, छोटे भाइयों के साथ में पारिवारिक विवाद बढ़ सकता है तथा कार्य क्षेत्र में भी रुकावटें आ सकती है।