Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

Facts About Pushya Nakshatra : पुष्य नक्षत्र की 10 खास बातें

Advertiesment
हमें फॉलो करें Facts About Pushya Nakshatra : पुष्य नक्षत्र की 10 खास बातें
webdunia

अनिरुद्ध जोशी

पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ होता है। इसे खरीदारी का महामुहूर्त भी कहते हैं। आज हम आपको पुष्य नक्षत्र से जुड़ी ऐसी खास बातें बता रहे हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं। ये हैं पुष्य नक्षत्र से जुड़ी 10 खास बातें-
1- प्राचीन काल से ही ज्योतिषी 27 नक्षत्रों के आधार पर गणनाएं कर रहे हैं। इनमें से हर एक नक्षत्र का शुभ-अशुभ प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ता है। नक्षत्रों के इन क्रम में आठवें स्थान पर पुष्य नक्षत्र को माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई कोई भी वस्तु बहुत लंबे समय तक उपयोगी रहती है तथा शुभ फल प्रदान करती है, क्योंकि यह नक्षत्र स्थाई होता है। 
2- पुष्य को नत्रक्षों का राजा भी कहा जाता है। यह नक्षत्र सप्ताह के विभिन्न वारों के साथ मिलकर विशेष योग बनाता है। इन सभी का अपना एक विशेष महत्व होता है। रविवार, बुधवार व गुरुवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र अत्यधिक शुभ होता है। ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता एवं आनंद कर्ता कहा गया है। 
3- हिंदू पंचांग के हर महीने में अपने क्रम के अनुसार विभिन्न नक्षत्र चंद्रमा के साथ संयोग करते हैं। जब यह क्रम पूर्ण हो जाता है तो उसे एक चंद्र मास कहते हैं। इस प्रकार हर महीने में पुष्य नक्षत्र का शुभ योग बनता है। अन्य माह के पुष्य नक्षत्र से ज्यादा दीपावली के पहले आने वाला पुष्य नक्षत्र खास माना जाता है, क्योंकि दीपावली के लिए की जाने वाली खरीदी के लिए यह विशेष शुभ होता है जिससे कि जो भी वस्तु इस दिन आप खरीदते हैं वह लंबे समय तक उपयोग में रहती है। 
4- नक्षत्रों के संबंध में एक कथा भी हमारे धर्म ग्रंथों में मिलती है उसके अनुसार ये 27 नक्षत्र भगवान ब्रह्मा के पुत्र दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं हैं, इन सभी का विवाह दक्ष प्रजापति ने चंद्रमा के साथ किया था। चंद्रमा का विभिन्न नक्षत्रों के साथ संयोग पति-पत्नी के निश्चल प्रेम का ही प्रतीक स्वरूप है। इस प्रकार चंद्र वर्ष के अनुसार महीने में एक दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र के साथ भी संयोग करता है, शुभ कहा गया है। 
5- पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति हैं जो सदैव शुभ कर्मों में प्रवृत्ति करने वाले, ज्ञान वृद्धि एवं विवेक दाता हैं तथा इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि शनि हैं जिसे 'स्थावर' भी कहते हैं जिसका अर्थ होता है स्थिरता। इसी से इस नक्षत्र में किए गए कार्य चिर स्थायी होते हैं। 
webdunia



6- पुष्य नक्षत्र अपने आप में अत्यधिक प्रभावशील एवं मानव का सहयोगी माना गया है। पुष्य नक्षत्र शरीर के अमाशय, पसलियां व फेफड़ों को विशेष रूप से प्रभावित करता है। पुष्य नक्षत्र शुभ ग्रहों से प्रभावित होकर इन अंगों को दृढ़, पुष्ट तथा निरोगी बनाता है। जब यह नक्षत्र दुष्ट ग्रहों के प्रभाव में होता है तब इन अंगों को बीमार व कमजोर करता है।
7- हिंदू पंचांग के अनुसार जब पूर्ण चंद्रमा चित्रा नक्षत्र से संयोग करता है तो उस महीने को हम चैत्र नाम कहते हैं। इसी तरह जब पूर्ण चंद्रमा पुष्य नक्षत्र से संयोग करता है वह मास पौष नाम से जाना जाता है। इस तरह पुष्य नक्षत्र साल के 12 महीनों में से एक का निर्धारण करता है। 
8- पुष्य नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग सर्वगुण संपन्न, भाग्यशाली तथा अतिविशिष्ट होते हैं। दिखने में यह सुंदर, स्वस्थ, सामान्य कद-काठी के तथा चरित्र में विद्वान, चपल, स्त्रीप्रिय व बोल-चाल में चतुर होते हैं। इस नक्षत्र में जन्में लोग जनप्रिय और नियम पर चलने वाले होते हैं तथा खनिज पदार्थ, पेट्रोल, कोयला, धातु, पात्र, खनन संबंधी कार्य, कुएं, ट्यूबवेल, जलाशय, समुद्र यात्रा, पेय पदार्थ आदि में क्षेत्रों में सफलता हासिल करते हैं।
9- प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार पुष्य नक्षत्र के सिरे पर बहुत से बारीक तारे हैं जो कांति वृत्त के अत्यधिक समीप हैं। मुख्य रूप से इस नक्षत्र के तीन तारे हैं जो एक तीर (बाण) की आकृति के समान आकाश में दिखाई देते हैं। इसके तीर की नोक कई बारीक तारा समूहों के गुच्छ (पुंज) के रूप में दिखाई देती है।
10- आकाश में इसका गणितीय विस्तार 3 राशि 3 अंश 20 कला से 3 राशि 16 अंश 40 कला तक है। यह नक्षत्र विषुवत रेखा से 18 अंश 9 कला 56 विकला उत्तर में स्थित है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

7 नवंबर : शनि पुष्य नक्षत्र और बहीखाता खरीदी मुहूर्त