प्रत्येक माह में दो चतुर्थी होती है। यह खला तिथि हैं। तिथि 'रिक्ता संज्ञक' कहलाती है। अतः इसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। यदि चतुर्थी गुरुवार को हो तो मृत्युदा होती है और शनिवार की चतुर्थी सिद्धिदा होती है और चतुर्थी के 'रिक्ता' होने का दोष उस विशेष स्थिति में लगभग समाप्त हो जाता है। चतुर्थी तिथि की दिशा नैऋत्य है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। आओ जानते हैं इसके 4 शुभ उपाय।
चतुर्थी के 4 शुभ उपाय :
1. व्रत : चतुर्थी (चौथ) के देवता हैं शिवपुत्र गणेश। इस तिथि में भगवान गणेश का पूजन से सभी विघ्नों का नाश हो जाता है। संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। इस दिन जो व्रत रखता है उसके संकटों का नाश हो जाता है। चतुर्थी के व्रतों के पालन से संकट से मुक्ति तो मिलती ही है साथ ही आर्थिक लाभ भी प्राप्त होता है। संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी घर में आ रही सारी विपदाओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।
2. दुर्वा : इस दिन गणेशजी को दूर्वा चढ़ाकर विशेष पूजा की जाती है। ऐसा करने से परिवार में समृद्धि बढ़ती है और मनोकामना भी पूरी होती है। इस व्रत का जिक्र स्कंद, शिव और गणेश पुराण में किया गया है। 'श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि।' : इस मंत्र के साथ श्रीगणेशजी को दूर्वा चढ़ाने से जीवन की सभी विघ्न समाप्त हो जाते हैं और श्रीगणेशजी प्रसन्न होकर सुख एवं समृद्धि प्रदान करते हैं।
3. पूजा : गणेशजी को दुर्गा अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं। प्रात:काल उठकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठकर व्रत और पूजा का संकल्प लें। फिर ऊं गं गणपतयै नम: मंत्र बोलते हुए जितनी पूजा सामग्री उपलब्ध हो उनसे भगवान श्रीगणेश की पूजा करें।
गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर लगाएं। फिर उन्हें 21 गुड़ की ढेली के साथ 21 दूर्वा चढ़ाएं। मतलब 21 बार 21 दूर्वा की गाठें अर्पित करना चाहिए। इसके अलावा गणेशजी को मोदक और मोदीचूर के 21 लड्डू भी अर्पित करें। इसके बाद आरती करें और फिर प्रसाद बांट दें।
4. अथर्वशीर्ष : इस दिन गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करना चाहिए। गणपति अथर्वशीर्ष का संपूर्ण पाठ, मन की शांति पाने का और अपनी किस्मत बदलने का अचूक उपाय है।
चतुर्थी के 4 ज्योतिष उपाय :
1. विवाह हेतु : श्वेतार्क गणेश को पूर्वाभिमुख हो रक्त वस्त्र आसन प्रदान कर यथाशक्ति पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन कर लड्डू या मोदक का नेवैद्य लगाकर 'ॐ गं गणपतये नम:' की 21, 51 या 108 माला कर उपलब्ध साधनों से या केवल घी से 1 माला आहुति दें। विवाह कार्य या पारिवारिक समस्या के लिए उपरोक्त तरीके से पूजन कर 'ॐ वक्रतुंडाय हुं' का प्रयोग करें। माला मूंगे की हो।
2. शक्ति हेतु : इनकी आराधना करने से व्यक्ति सर्वशक्तिमान होकर उभरता है। उसे जीवन में कोई कमी महसूस नहीं होती है। कुम्हार के चॉक की मिट्टी से अंगूठे के बराबर मूर्ति बनाकर उपरोक्त तरीके से पूजन करें तथा 101 माला 'ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं' की जप कर हवन करें। नित्य 11 माला करें तथा चमत्कार स्वयं देख लें।
3. कर्ज से मुक्ति : आधुनिक यु्ग में महत्वाकांक्षाओं के चलते मनुष्य शीघ्र ही कर्ज के जाल में फंस जाता है। लाख कोशिश करने पर भी उससे निकल नहीं पाता। दैवकृपा ही इस कष्ट से मुक्ति दिला सकती है। निम्न मंत्र की 108 माला गणेश चतुर्थी पर कर यथाशक्ति हवन कर नित्य 1 माला करें, शीघ्र ही इस जंजाल से मुक्ति मिलेगी।
4. धनु हेतु : विघ्नों को दूर करने के लिए श्वेतार्क गणपति पर 'ॐ गं गौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा' की 21 माला जपें। सात ही लक्ष्मी विनायक गणेश जी का भी प्रयोग उपरोक्त तरीके से कर निम्न मंत्र जपें- 'ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।' 444 तर्पण नित्य करने से गणेशजी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।