हरियाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहते हैं। सावन मास की अमावस्या और पूर्णिमा तिथि का बहुत महत्व होता है। हरियाली अमावस्या सावन शिवरात्रि के दूसरे दिन पड़ती है। इस साल सावन की हरियाली अमावस्या 8 अगस्त रविवार के दिन है। इस दिन व्यातीपात और वरियान योग साथ में पुष्य नक्षत्र रहेगा। आओ जानते हैं 20 खास बातें।
1. हरियाली अमावस्या के दिन पौधा रोपड़ का बहुत महत्व होता है। हरियाली अमावस्या पर देववृक्ष पीपल, बरगद, केला, नींबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना शुभ माना जाता है।
2. इस दिन पितृदोष से मुक्ति हेतु पितृ तर्पण वह पिंडदान किया जाता है।
3. हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव को सफेद आंकड़े के फूल, बिल्व पत्र और भांग, धतूरा चढ़ाएं। इस दिन भगवान शिव की पूजा विशेष रूप से करना चाहिए।
4. इस दिन सावन के झुले में बच्चे और महिलाएं झुले झुलते हैं।
5. इस दिन अमावस्या का व्रत रखा जाता है।
6. इस दिन नदी या कुंड में स्नान करके पितरों के निमित्त तर्पण करने का महत्व रहता है।
7. इस दिन दान देने का महत्व भी बढ़ जाता है। दीपदान भी करना चाहिए।
8. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करके उसकी परिक्रमा की जाती है।
9. इस दिन किसी नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाने से धन समृद्धि की प्राप्ति होती है।
10. इस दिन घर के पास चींटियों को सूखे आट में चीनी मिलाकर खिलाने से संभी तरह के संकट दूर होते हैं।
11. इस दिन हनुमान मंदिर जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और हनुमानजी को सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाएं।
12. इस दिन किसी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराने के बाद उसे दक्षिणा दें।
13. इस दिन आटे के दीपक जलाकर नदी में प्रवाहित करने से पितृदेव और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
14. इस दिन गेहूं और ज्वार की धानी का प्रसाद वितरण करें।
15. इस दिन किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं।
16. अमावस्या के दिन भूत-प्रेत, पितृ, पिशाच, निशाचर जीव-जंतु और दैत्य ज्यादा सक्रिय और उन्मुक्त रहते हैं। ऐसे दिन की प्रकृति को जानकर विशेष सावधानी रखनी चाहिए।
17. इस दिन शनिदेवजी के मंदिर में विधि अनुसार दीपक लगाने से वे प्रसन्न होते हैं।
18. हरियाली अमावस्या के दिन शिवजी और श्रीविष्णु के मंत्रों का जाप और श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ करें।
19. इस दिन पितृसूक्त पाठ, गीता पाठ, गरुड़ पुराण, गजेंद्र मोक्ष पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच का पवित्र पाठ या पितृ देव चालीसा और आरती करें।
20. हरियाली अमावस्या की रात्रि में पूजा करते समय पूजा की थाली में स्वास्तिक या ॐ बनाकर और उसपर महालक्ष्मी यंत्र रखें फिर विधिवत पूजा अर्चना करें, ऐसा करने से घर में स्थिर लक्ष्मी का वास होगा और आपको सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी।