अमावस्या माह में एक बार ही आती है। मतलब यह कि वर्ष में 12 अमावस्याएं होती हैं। श्रावण माह की अवावस्या को श्रावणी और हरियाली अमावस्या कहते हैं। इसे महाराष्ट्र में गटारी अमावस्या कहते हैं। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में चुक्कला एवं उड़ीसा में चितलागी अमावस्या कहते हैं। शास्त्रों में अमावस्या तिथि का स्वामी पितृदेव को माना जाता है। अत: इस दिन पितृ दोष से मुक्ति हेतु पितृ शांति के उपाय किए जाते हैं। आओ पितृदोष से बचने के लिए जानते हैं 5 उपाय।
1. पौधा रोपण : हरियाली अमावस्या के दिन पौधा रोपण या वृक्षारोपण का बहुत महत्व है। आम, आंवला, पीपल, वटवृक्ष और नीम के पौधों को रोपने का विशेष महत्व बताया गया है। वृक्ष रोपण करने ग्रह नक्षत्र और पितृदोष शांत हो जाते हैं।
2. महादेव पूजा : श्रावण मास में महादेव के पूजन का विशेष महत्व है इसीलिए हरियाली अमावस्या पर विशेष तौर पर शिवजी का पूजन-अर्चन किया जाता है। महादेव पूजन से पितृदोष शांत होते हैं।
3. पितरों के निमित्त करें व्रत : इस दिन व्रत करने का भी बहुत महत्व बताया गया है। सभी तरह के रोग और शोक मिटाने हेतु भी विधिवत रूप से इस दिन व्रत रखा जाता है। पितरों के निमित्त वृत करने से पितृदोष शांत होते हैं। इस दिन ब्राह्मण भोज भी कराना चाहिए।
4. पाठ करें : इस दिन पितृसूक्त पाठ, गीता पाठ, गरुड़ पुराण, गजेंद्र मोक्ष पाठ, रुचि कृत पितृ स्तोत्र, पितृ गायत्री पाठ, पितृ कवच का पवित्र पाठ या पितृ देव चालीसा और आरती करें।
5. तर्पण पिंडदान : पितरों के देव अर्यमा और भगवान विष्णु के आह्वान करते हुए अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि कार्य करते हैं। यदि पितरों के पिंडदान नहीं हुआ है तो पिंडदान करते हैं।