Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Holi Festival and Color of Planet : नवग्रहों के नौ रंग, होली खेलिए इनके संग

हमें फॉलो करें Holi Festival and Color of Planet : नवग्रहों के नौ रंग, होली खेलिए इनके संग
holi
होली का त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा से प्रतिपदा के मध्य मनाया जाता है। जो सुसमृद्ध, गौरवशाली भारतीय संस्कृति का ऐसा अनूठा रंगों का त्योहार है जो हमारे निकट सम्पूर्ण वातावरण को विशेष सकारात्मक बनाता है। रंग हमें केवल लुभाते ही नहीं, बल्कि हमारे मन और शरीर पर प्रत्यक्ष रूप से असर भी डालते हैं।
 
सूरज की लाली, धरती की हरियाली, चंदा की चांदनी और गगन मंडल में सतरंगी इंद्रधनुष का आकर्षण मानव के पंच महाभूत स्थूल शरीर को सदैव लुभाता रहता है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में विविध प्रकार के रंग समाहित हैं। इस पंचभूत शरीर में भी कई तरह के रंगों का मिश्रण है। जैसे-पृथ्वी तत्व का रंग बैंगनी व नारंगी, जल का हरा एवं नीला, पावक (अग्नि) का लाल, व पीला, हवा का बैंगनी और आकाश का रंग प्रायः नीला है।
 
नवग्रह व बारह राशियां भी विविध प्रकार के रंगों व तत्वों की होती हैं। जैसे- सूर्य का रक्त (लाल) वर्ण, नारंगी व सुनहला तथा चंद्रमा का सफेद, मंगल का लाल, बुध का हरा, शुक्र का रंग सफेद, बृहस्पति (गुरु) का पीला, शनि का काला व नीला, राहु का काला और केतु का रंग चितकबरा होता है।
 
इस रंगीले होली के पावन पर्व में सभी नौ ग्रह चलते हुए एक-दूसरे पर रंग डालते हैं। मंगल व शुक्र का मिलन बड़ा ही रोचक होता है। मंगल हमें जोश व उत्साह प्रदान करता है। शुक्र हमें सांसारिक खुशियां प्रदान कर जीवन व मन को प्रसन्न बनाता है। बुध का रंग हरा है जो उन्नति और प्रसन्नता का सूचक है, यह रिश्तों में प्रेम और चाहत को बनाए रखने हेतु प्रेरित करता है तथा रिश्तों को घनिष्ठता के सूत्र में पिरो के रखता है। उन्हें टूटने नहीं देता और मजबूती तथा आपसी विश्वास को भी बढ़ाता है। शत्रुता और आपसी कलह व अर्न्तविरोधों का अंत करता है। दिलों को मिला उनमें हंसी-खेल व मित्रता की भावना को बढ़ाता है। हमारे चेहरे पर सुन्दरता का नूर खिलाता है। यह तंत्रिका तंत्र का स्वामी है।
 
शुक्र का सफेद रंग मानसिक शांति का और मंगल का लाल रंग जोश व उमंग का सूचक है। होली के दिन यह वयोवृद्धों में भी विशेष जोश का संचार कर देता है।
 
सूर्य विश्व आत्मा का कारक ग्रह है यह हमारे जीवन को ओज और ऊर्जा से भर देता है। इसका रंग नारंगी व सुनहला है जो हमारे आपसी संबंधों को मजबूती प्रदान कर चेहरे को खिला देता है।
 
चंद्रमा का रंग सफेद है। यह हमारी कल्पनाशक्ति व मानसिक शक्ति का स्वामी है। यह मन की शांति व खूबसूरती का सूचक ग्रह है। यह हमारे मनोभावों तथा मनोकामनाओं को साकार करने के द्वार खोलता है। दो दिलों में मेल कराता है उन्हें आपस में जोड़ता है यह मन का स्वामी है।
 
बृहस्पति (गुरु) का रंग पीला होता है। यह ग्रह वैभव व समृद्धि का सूचक है। इसे बुद्धि का स्वामी तथा विवेक का रंग भी कहा जाता है। भारतीय वांग्मय में शुभ कार्यों में पीले वस्त्र का विशेष महत्व है। इस रंग से खुशियां बढ़ती हैं। ज्ञान प्राप्त होता है व ऊर्जा मिलती है। सौभाग्य तथा बुद्धि में अद्भुत वृद्धि होती है।
 
शनि का रंग काला व नीला होता है। नीला रंग प्रसन्नता व शांति का सूचक है। नीला रंग हमें शान्ति ही नहीं देता, बल्कि हमारी चेतना शक्ति को भी प्रभावित करता है। शनि ग्रह रात का स्वामी है काली रात में हल्के नीले रंग के बल्ब का प्रयोग शयन कक्ष में किया जाए तो सुखद व गहरी नींद भी आती है। यह रंग सिर्फ नींद ही नहीं देता बल्कि हमारे जीवन के अति विशिष्ट रिश्तों को मधुरता और मजबूती प्रदान कर उनमें मिठास घोल देता है।
 
शनि कालपुरुष की कुण्डली में दशम व एकादश भाव का स्वामी होता है। यह ग्रह हमारे अंदर मजबूती व गंभीरता को जागृति करता है। अभिलाषाओं की पूर्ति कर भाग्य को भी मजबूत बनाता है।
 
हमारे शरीर में रंग सदैव एक विशेष प्रभाव व उत्साह छोड़ते हैं। चाहे वह होली के रंग हो या फिर किसी मांगलिक कार्यक्रमों के, दुल्हन की बिंदिया या चूड़ी के रंग हो, या फिर बहन-भाई के रक्षा सूत्रों के रंग, खाने के रंग हो या फिर घर सजाने के रंग हो, सभी रंग हमारे शरीर और मन को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
 
सफेद रंग शरीर में महत्वाकांक्षा को, केसरिया व भगवा रंग बलिदान व त्याग को, लाल रंग उत्तेजना को, काला रंग चिंतन व रहस्य को उत्पन्न करता है।
 
पीला रंग ताप उत्पन्न करता है और हरा रंग शरीर में सर्दी व गर्मी के संतुलन को बनाए रखता है। नीला रंग मन को शांत तथा गंभीर बनाता है। लाल रंग जीवन में ऊर्जा शक्ति का विशेष संचार करता है।
 
अतः होली के पावन अवसर पर नवग्रहके अनुसार रंगों का प्रयोग आपके जीवन में अधिक से अधिक उत्साह ऊर्जा शक्ति तथा मधुरता घोलेगा। तत्वों, रंगों व गुणों की विविधता होते हुए भी नवग्रह समूह एक दूसरे पर परस्पर प्रेम रंगों की बरसात कर सकते हैं, तो क्या आप भी मानव जीवन में प्रेम रंगों की ऐसी सजीव बरसात नहीं कर सकते...जो सुख, आनंद, उत्साह व माधुर्य से भर दें।
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi