इस वर्ष 2 अक्टूबर 2021, शनिवार को आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि है। इसे इंदिरा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यहां जानिए एकादशी के बारे में-
इंदिरा एकादशी की विशेषताएं-
1. हिंदू धर्म में इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है। यह व्रत सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है।
2. पितृ पक्ष में आने वाली इस एकादशी का व्रत रखने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है।
3. इंदिरा एकादशी व्रत पापों से भी मुक्ति दिलाता है तथा जीवन की सभी परेशानियां दूर करने में महत्वपूर्ण माना गया हैं।
4. धार्मिक दृष्टि से आश्विन मास काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। कहते हैं कि इस माह में आने वाली एकादशी की व्रत कथा सुनना पुण्यकारी होता है। इतना ही नहीं, इंदिरा एकादशी के दिन व्रत कथा सुनना जरूरी होता है वरना व्रत अधूरा रह जाता है।
5. इंदिरा एकादशी के व्रत के दिन कथा पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से छूट जाते हैं और सब प्रकार के सुखों को प्राप्त करके बैकुंठ को प्राप्त होते हैं।
पूजन विधि-
आश्विन कृष्ण दशमी के दिन प्रात:काल श्रद्धापूर्वक स्नान करके अपने पितरों का श्राद्ध करके एक बार भोजन करें। अगले दिन प्रात: होने पर एकादशी के दिन स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत के नियमों को ग्रहण करते हुए यह प्रतिज्ञा करना चाहिए कि मैं आज संपूर्ण भोगों को त्याग कर निराहार एकादशी का व्रत करूंगा। पूजन के लिए शालिग्राम की मूर्ति को स्थापित करें। फिर उसे पंचामृत से स्नान कराएं और प्रार्थना करें कि, हे अच्युत! हे पुंडरीकाक्ष! मैं आपकी शरण में हूं, आप मेरी रक्षा कीजिए, मेरी पूजा स्वीकार करें। भगवान को मिष्ठान्न का भोग लगाएं। पूजन समाप्त होने पर आरती करें। अब ब्राह्मण भोज तैयार करें और उन्हें भोजन करावाकर दान-दक्षिणा दें। इंदिरा एकादशी व्रत की कथा का पढ़ें अथवा सुनें। रात्रि जागरण करके व्रत को पूर्ण करके अगले दिन पारण करें।
इंदिरा एकादशी पूजन के शुभ मुहूर्त-
इंदिरा एकादशी तिथि इस बार 01 अक्टूबर, शुक्रवार को 11.03 पीएम. से प्रारंभ होकर शनिवार, 02 अक्टूबर को 11.10 पीएम. पर एकादशी तिथि समाप्त होगी।
पारण का समय- इंदिरा एकादशी का पारण 03 अक्टूबर, रविवार को 06:15 एएम. से 08:37 एएम. तक रहेगा। इस समयावधि में पारण करना उचित रहेगा।