Kanya Sankranti 2023: कन्या संक्रांति हिंदू सौर कैलेंडर में छठे महीने की शुरुआत का प्रतीक है। सूर्यदेव 17 सितंबर, 2023 को सुबह 7 बजकर 11 मिनट पर सिंह राशि को छोड़कर कन्या राशि में प्रवेश कर जाएंगे। सूर्य के इस परिवर्तन को ही कन्या संक्रांति कहते हैं। इस दिन पितृ दोष और कालसर्प दोष से मुक्ति के उपाय किए जाते हैं। यदि आप तर्पण या पिंडदान करने में असमर्थ हैं तो आप 5 प्रकार के दान कर सकते हैं।
1. पंचबलि दान : भोजन से पंचबलि अर्थात गाय, कुत्ते, कौए, देव एवं चीटिंयों के लिए भोजन का अंश निकालकर उन्हें देना चाहिए।
2. अमान्य दान : इस दिन किसी भी मंदिर में अथवा ब्राह्मण को 'आमान्य दान'। जो लोग ब्रह्माण भोजन कराने में अक्षम हों या महंगे दान देने में अक्षम हों वे आमान्न दान देते हैं। आमान्न दान अर्थात अन्न, घी, गुड़, नमक आदि भोजन में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं इच्छानुसार मात्रा में दी जाती हैं। यह भी नहीं कर सकते हो तो गाय को हरी शाक (पालक आदि) भी खिलाकर भी श्राद्ध कर सकते हैं।
3. दीपदान : कन्या संक्रांति के दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें फिर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शाम को नदी में दीपदान करेंगे तो आर्थिक समस्या से मुक्ति मिलेगी।
4. पीपल को दान : इस दिन प्रात: पीपल के वृक्ष के नीचे पितरों के निमित्त अपने घर का बना मिष्ठान और शुद्ध पीने के जल की मटकी रखकर धूप, दीपक जलाना चाहिए।
5. दस प्रकार के दान : जूते-चप्पल, वस्त्र, छाता, काला तिल, घी, गुड़, धान्य, नमक, चांदी-स्वर्ण और गौ-भूमि। इस दौरान दान-पुण्य का कार्य करना चाहिए। गरीबों या जरूरतमंदों को खाद्य सामग्री, वस्त्र आदि दान करनी चाहिए। श्राद्ध में जो लोग भोजन कराने में अक्षम हों, वे आमान्न दान देते हैं।