कई बार देखा जाता कि कोई जातक सब कुछ होते हुए भी कंगाल या निर्धन हो जाता है। अत्यंत परिश्रम करने पर भी उसका उत्थान नहीं हो पाता। ऐसा कई बार जातक के कर्मों, कभी ग्रह-नक्षत्रों के कारण भी होता है।
ज्योतिष के अनुसार परिजात, उत्तर कालामृत, जातक तत्वम सहित ऐसे कई योग है, जो जातक को निर्धन या दिवालिया बनाते है। ऐसे योगों वाले जातकों को जीवन में कभी न कभी निर्धनता का सामना करना ही पड़ता है। प्रबल केमद्रुम योगों वाले जातकों की मृत्यु के पश्चात अंतिम संस्कार भी बड़ी मुश्किल से होता है।
जानिए केमद्रुम योग?
लग्न चक्र के विविध योगों में केमद्रुम योग एक ऐसा योग है, जिसके कारण बहुत कठिनाइयां सामने आती हैं। जब भी चन्द्रमा किसी भी भाव में बिल्कुल अकेला होता है तथा उसके अगल-बगल के दोनों अन्य भावों में कोई ग्रह नहीं होते, तो ऐसी स्थिति में केमद्रुम योग की सृष्टि होती है। परंतु इस तरह के केमद्रुम योग को बर्दाश्त किया जा सकता है क्योंकि ऐसी दशा में ग्रह शांति और कुछ उपायों के पश्चात जातक कंगाली से उबर भी सकता है।
परंतु जब ऐसे चन्द्रमा को कोई शुभ ग्रह भी न देख रहे हों, वह स्वयं पापी, क्षीण अथवा नीचस्तंगत हो तथा पापी व क्रूर ग्रहों द्वारा देखा भी जा रहा हो तो ऐसे में स्पष्ट रूप से प्रबलतम केमद्रुम योग की सृष्टि होती है। इस दशा में व्यक्ति को भीख मांग कर खाने की भी स्थिति आ जाती है। ऐसे योग वाला जातक जीवन भर कंगाल ही रह जाता है।