'खरमास' प्रारंभ होते ही शादी-विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार, मुंडन संस्कार, जनेऊ संस्कार इत्यादि नहीं होंगे किंतु धार्मिक कार्य व अनुष्ठान यथावत चलते रहेंगे।
धनु राशि में पूर्व से ही शनि का गोचर हो रहा है तथा 16 दिसंबर 2018 को सायं 6.39 बजे सूर्य के भी धनु राशि में पहुंचने से सूर्य-शनि की युति प्रारंभ हो रही है। इस युति पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि भी नहीं पड़ रही है। रविवार की संक्रांति दक्षिणी भारत में उत्पात मचा सकती है एवं राजनीतिक उथल-पुथल के योग भी बन रहे हैं। इस संक्रांति से दैनिक उपभोग की वस्तुएं सस्ती एवं सुलभ हो सकती हैं।
सूर्य-शनि की युति से भारत का राजनीतिक समीकरण, अर्थव्यवस्था, विदेश नीति व महंगाई पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। किसी प्रकरण पर न्याय पालिका का सख्त रुख हो सकता है। विदेशों में युद्ध के भी आसार हैं।
प्राकृतिक आपदा के भी आसार हैं। पहाड़ी इलाकों में भयंकर हिमपात, मैदानी इलाकों में ओलावृष्टि, भारी बारिश व बर्फीली हवाएं चल सकती हैं। जान-माल का नुकसान भी हो सकता है। किसी मशहूर शख्स का अंत भी होने के संकेत मिल रहे हैं।
अग्रिम एक माह की संक्रांति में दान-पुण्य, पूजा-पाठ व पितृ की पूजा अवश्य करनी चाहिए। दान-पुण्य व पूजा-पाठ से पितृलोक में पितर भी प्रसन्न होकर शुभाशीष प्रदान करते हैं व बिगड़े कार्य बनाते हैं। इसके साथ ही साथ सूर्य देव भी प्रसन्न होकर निरोगता प्रदान करते हैं।
खरमास का वैज्ञानिक आधार
सूर्य की तरह गुरु ग्रह भी हाइड्रोजन और हीलियम की उपस्थिति से बना हुआ है। सूर्य की तरह इसका केंद्र भी द्रव्य से भरा है जिसमें अधिकतर हाइड्रोजन ही है जबकि दूसरे ग्रहों का केंद्र ठोस है इसलिए गुरु का भार सौरमंडल के सभी ग्रहों के सम्मिलित भार से भी अधिक है।
पृथ्वी से 15 करोड़ किलोमीटर दूर स्थित सूर्य तथा 64 करोड़ किलोमीटर दूर बृहस्पति वर्ष में एक बार ऐसी स्थिति में आते हैं, जब सौर चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के माध्यम से बृहस्पति के कण काफी मात्रा में पृथ्वी के वायुमंडल में पहुंचते हैं, जो एक-दूसरे की राशि में आकर अपनी किरणों को आंदोलित करते हैं। इसी वजह से धनु व मीन राशि के सूर्य को खरमास/मलमास कहा जाता है।