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श्रेष्ठ मुहूर्त में करेंगे मैरेज तो जीवन रहेगा सुखद, जानें योग्य जीवनसाथी के लिए किस लग्न का करें चुनाव

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पं. हेमन्त रिछारिया

विवाह हमारे षोडश संस्कारों में एक महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। जीवनसाथी के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा माना जाता है। विवाह योग्य आयु होने एवं उपयुक्त जीवनसाथी के चुनाव के पश्चात अक्सर माता-पिता को अपने पुत्र-पुत्रियों के विवाह के मुहूर्त को लेकर बड़ी चिंता रहती है। सभी माता-पिता अपने पुत्र-पुत्रियों का विवाह श्रेष्ठ मुहूर्त में ही संपन्न करना चाहते हैं।
 
विप्र एवं दैवज्ञ के लिए भी विवाह मुहूर्त का निर्धारण करना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। विवाह मुहूर्त के निर्धारण में कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाना आवश्यक होता है। शास्त्रानुसार श्रेष्ठ मुहूर्त कई प्रकार के दोषों का शमन करने में समर्थ होता है। अत: विवाह के समय 'पाणिग्रहण' संस्कार के लग्न का निर्धारण बड़ी ही सावधानी से करना चाहिए। विवाह लग्न का निर्धारण करते कुछ बातों एवं ग्रह स्थितियों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
 
आज हम 'वेबदुनिया' के पाठकों को विवाह लग्न के निर्धारण से जुड़ीं कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां देंगे।
 
किस लग्न का करें चुनाव-
 
विवाह लग्न का चुनाव करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि विवाह लग्न वर अथवा कन्या के जन्म लग्न व जन्म राशि से अष्टम राशि का न हो।
 
अष्टमेश का स्थित होना अति अशुभ-
 
विवाह लग्न के निर्धारण में यदि लग्न में जन्म लग्न के अष्टमेश की उपस्थिति हो तो उस लग्न को त्याग दें। विवाह लग्न में जन्म लग्न के अष्टमेश का होना अति अशुभ होता है।
 
आइए अब जानते हैं कि विवाह लग्न में नवग्रह किन-किन भावों में शुभ होते हैं- 
 
1. सूर्य- विवाह लग्न में सूर्य की 3, 6, 8, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
2. चंंद्र- विवाह लग्न में चंद्र की 2, 3, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
3. मंगल- विवाह लग्न में मंगल की 3, 6, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
4. बुध- विवाह लग्न में बुध की 1, 2, 3, 4, 5, 6, 9, 10, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
5. गुरु- विवाह लग्न में गुरु की 1, 2, 3, 4, 5, 6, 9, 10, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
6. शुक्र- विवाह लग्न में शुक्र की 1, 2, 4, 5, 9, 10, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
7. शनि- विवाह लग्न में शनि की 3, 6, 8, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
8. राहु- विवाह लग्न में राहु की 3, 6, 8, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
9. केतु- विवाह लग्न में केतु की 3, 6, 8, 11 भावों में स्थिति शुभ तथा शेष भावों में स्थिति अशुभ होती है।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र

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