जानिए कारण : 21 जून को वर्ष का सबसे लंबा दिन क्यों होता है?
21 जून को वर्ष का सबसे लंबा दिन होने के पीछे मुख्य रूप से पृथ्वी का अपने अक्ष पर झुकाव और सूर्य के चारों ओर उसकी परिक्रमा है:
1. पृथ्वी का झुकाव: हमारी पृथ्वी अपनी धुरी पर लगभग 23.5 डिग्री झुकी हुई है। यह झुकाव ही मौसमों में बदलाव का मुख्य कारण है।
2. सूर्य की ओर अधिकतम झुकाव: जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमती है, तो 21 जून के आसपास उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर सबसे अधिक झुका होता है।
3. कर्क रेखा पर सीधी किरणें: इस समय सूर्य की किरणें कर्क रेखा (Tropic of Cancer) पर सीधी पड़ती हैं, जो भारत के मध्य से भी गुजरती है। इस स्थिति में सूर्य जल्दी उगता है और देर से डूबता है, जिससे दिन लंबा और रात छोटी हो जाती है।
4. अधिक समय तक धूप: इस अधिकतम झुकाव के कारण, उत्तरी गोलार्ध में सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर सबसे लंबे समय तक बनी रहती है (लगभग 15 से 16 घंटे तक, जो स्थान के अक्षांश पर निर्भर करता है)। यही वजह है कि 21 जून को दिन सबसे बड़ा और रात सबसे छोटी होती है।
इसके विपरीत, दक्षिणी गोलार्ध में 21 जून को सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है, क्योंकि वह सूर्य से सबसे दूर झुका होता है। फिर दिसंबर में स्थिति पलट जाती है, जब दक्षिणी गोलार्ध में सबसे लंबा दिन और उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन (शीतकालीन संक्रांति) होता है।
ALSO READ: 21 जून योग दिवस का इतिहास, जानें 2025 की थीम से हम क्या सीखें
21 जून का महत्व: यह दिन सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि दुनियाभर की कई संस्कृतियों और धर्मों में इसका गहरा महत्व है। यह दिन जीवन और ऊर्जा का प्रतीक है। वर्ष के सबसे लंबे दिन का मतलब है सबसे अधिक सूर्य का प्रकाश और ऊर्जा। इसे जीवन शक्ति, विकास और प्रचुरता का प्रतीक माना जाता है।
यह प्रकृति में नई ऊर्जा के संचार का समय होता है। योग और आध्यात्मिकता का दिन यानी 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारतीय परंपरा में, यह दिन आध्यात्मिक अभ्यास के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। ज्योतिष के अनुसार कुंडली में यदि सूर्य कमजोर हो तो इस दिन सूर्य यंत्र की स्थापना की जा सकती है तथा लाल वस्त्र, तांबा, गुड़ या गेहूं का दान करना शुभ होता है। इसके अलावा 21 जून के दिन का महत्व खास इस प्रकार हैं...
- आदियोगी शिव: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव आदियोगी (पहले योगी) के रूप में प्रकट हुए थे और उन्होंने अपने शिष्यों को योग का ज्ञान देना शुरू किया था। इसलिए इसे योग के जन्म दिवस के रूप में भी देखा जाता है।
- साधना के लिए उत्तम: इस दिन की ऊर्जा को आध्यात्मिक साधना, ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
3. कृषि और फसल: कई प्राचीन कृषि-आधारित समाजों के लिए, ग्रीष्म संक्रांति का अर्थ था फसलों के बढ़ने और कटाई का मौसम शुरू होना। यह उर्वरता और समृद्धि का समय था।
4. उत्सव और अनुष्ठान: दुनिया भर में कई प्राचीन संस्कृतियों ने इस दिन को उत्सवों और अनुष्ठानों के साथ मनाया, जैसे अलाव जलाना (सूर्य की शक्ति का प्रतीक), प्रकृति के साथ जुड़ना, और भविष्य के लिए अपनी इच्छाएं व्यक्त करना।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
ALSO READ: 21 जून योग दिवस 2025: अनुलोम विलोम प्राणायाम करने के 10 फायदे