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कराग्रे वसते लक्ष्मी... क्यों देखते हैं सुबह अपनी हथेलियां, यह लेख आपकी आंखें खोल देगा

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दिन का शुभ आरंभ शुभ चीजों को देखने से होता है। इसके लिए भारतीय ऋषि-मुनियों ने हमें करदर्शनम यानी हाथों के दर्शन का संस्कार दिया है।
 
शास्त्रों में भी जागते ही बिस्तर पर सबसे पहले बैठकर दोनों हाथों की हथेलियों (करतल) के दर्शन का विधान बताया गया है। इससे व्यक्ति की दशा सुधरती है और सौभाग्य में वृद्धि होती है।


जब आप सुबह नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस में मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें-
 
कराग्रे वसते लक्ष्मीः करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥
 
अर्थात मेरे हाथ के अग्रभाग में भगवती लक्ष्मी का निवास है। मध्य भाग में विद्यादात्री सरस्वती और मूल भाग में भगवान विष्णु का निवास है। अतः प्रभातकाल में मैं इनका दर्शन करता हूं। इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती और अपार शक्ति के दाता, सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु की स्तुति की गई है, ताकि जीवन में धन, विद्या और भगवत कृपा की प्राप्ति हो सके।
 
हथेलियों के दर्शन का मूल भाव यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त कर सकें। हमारे हाथों से कोई बुरा काम न हो एवं दूसरों की मदद के लिए हमेशा हाथ आगे बढ़ें।

कर दर्शन का दूसरा पहलू यह भी है कि हमारी वृतियां भगवत चिंतन की ओर प्रवृत हों ऐसा करने से शुद्ध सात्विक कार्य करने की प्रेरणा मिलती हैं, साथ ही पराश्रित न रहकर अपनी मेहनत से जीविका कमाने की भावना भी पैदा होती है।

 
आंखें भी रहेंगी स्वस्थ-जब हम सुबह सोकर उठते है तो हमारी आंखें उनींदी रहती हैं। ऐसे में यदि एकदम दूर की वस्तु या कहीं रोशनी पर हमारी नज़र पड़ेगी तो आंखों पर कुप्रभाव पड़ेगा। कर दर्शन करने का यह फायदा है कि इससे दृष्टि धीरे-धीरे स्थिर हो जाती है और आंखों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता।


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