Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रुद्राक्ष : क्या महिलाएं धारण नहीं कर सकती हैं? जानिए सच

हमें फॉलो करें रुद्राक्ष : क्या महिलाएं धारण नहीं कर सकती हैं? जानिए सच
webdunia

पं. हेमन्त रिछारिया

श्रावण मास में शिव-आराधना का विशेष महत्व है। शिव जी को प्रिय लगने वाले सभी चीज़ें श्रावण मास में संपन्न की जाती हैं चाहे वह अभिषेक हो, स्तुति हो, बिल्वपत्र अर्पण हो या फ़िर रुद्राक्ष धारण करना। 
 
पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष को शिवजी की आंख का अश्रु माना गया है।
 
वास्तविक रूप में रुद्राक्ष एक फल की गुठली होता है। इस वृक्ष की सर्वाधिक पैदावार दक्षिण पूर्व एशिया में होती है। रुद्राक्ष का वृक्ष एक सदाबहार वनस्पति है जिसकी ऊंचाई 50 से 60 फ़ीट तक होती है। 
 
रुद्राक्ष के वृक्ष के पत्ते लंबे होते हैं। यह एक कठोर तने वाला वृक्ष होता है। रुद्राक्ष के वृक्ष का फूल सफेद रंग का होता है और इसमें लगने वाला फल शुरू में हरा, पकने पर नीला एवं सूखने पर काला हो जाता है। रुद्राक्ष इसी काले फल की गुठली होता है। इसमें दरार के सदृश दिखने वाली धारियां होती हैं जिन्हें प्रचलित भाषा में रुद्राक्ष का मुख कहा जाता है। 
 
यह धारियां एक से लेकर चौदह तक की संख्या में हो सकती हैं। पौराणिक मान्यता अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष अतिशुभ माना जाता है। इसे साक्षात् शिव का स्वरूप माना गया है, वहीं दोमुखी रुद्राक्ष को शिव-पार्वती का संयुक्त रूप माना जाता है। 
 
अनिष्ट ग्रहों की शांति हेतु रुद्राक्ष धारण की अहम् भूमिका होती है। रुद्राक्ष को लाल रेशमी धागे में धारण करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों में कमी आती है। 
 
सामान्यत: महिलाओं को रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा नहीं है केवल साध्वियां ही रुद्राक्ष धारण करती देखी गई हैं। किन्तु वर्तमान समय में महिलाओं में भी रुद्राक्ष धारण करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। हमारे मतानुसार यदि महिलाएं रुद्राक्ष धारण करें तो अशुद्धावस्था आने से पूर्व इसे उतार दें एवं शुद्धावस्था प्राप्त होने पर पुन: धारण करें।
 
-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
संपर्क: [email protected]
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

नागपंचमी की पौराणिक और पवित्र कथा : जब नाग ने भाई बन कर की बहन की रक्षा