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आपके नाम का भी एक अंक है, जानिए नामांक कैसे निकाला जाता है और कैसे हैं आप

हमें फॉलो करें आपके नाम का भी एक अंक है, जानिए नामांक कैसे निकाला जाता है और कैसे हैं आप
अंकों का संसार रहस्यमय एवं बहुत पुराना है। संसार की सभी सभ्यताओं में, सभी भाषाओं में अंकों का प्रयोग किसी न किसी रूप में होता ही आया है।
 
अंकों का जन्म अथवा रचना कैसे एवं कब हुई, यह प्रमाणित तौर पर बताना कठिन होगा, परंतु यह सदियों से स्‍थापित तथ्य है कि अंक मानव जीवन को प्रभावित करते हैं।
 
ज्योतिष एवं निगूढ़ विद्याओं में भविष्य जानने के लिए सदियों से कई विद्याओं का प्रचलन है, जैसे टैर कार्ड्स, ज्योतिष, क्रिस्टल बाल, पें‍डुलम, अंकशास्त्र, हस्तरेखा विज्ञान, फेस रीडिंग, औरा त्राटक इत्यादि। इन विद्याओं की मदद से मनुष्य अपने भविष्य को जानने का प्रयास करता आया है।
 
कहते हैं कि अंकशास्त्र भारत की देन है। अंकशास्त्र के अनुसार भविष्य जानने हेतु हम नामांक विद्या का परिचय देते हैं। इसमें प्रत्येक मनुष्य का समाज में प्रचलित नाम अंग्रेजी वर्णानुसार लेते हैं। इस नवीन विधि के अनुसार प्रत्येक वर्ण को एक निश्चित अंक दिया गया है। इस प्रकार नाम से संबंधित नामांक हम निकालते हैं।
 
नामांक निकालने की विधि-
 
नामांक निकालने के लिए हमें व्यक्ति का नाम अंग्रेज़ी में लिखना होगा, जो नाम सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता हो उसी नाम से नामांक निकालना चाहिए। 
नोट:- अंग्रेज़ी के सारे अक्षरों के लिए कोई न कोई अंक निर्धारित किया गया है जो निम्न प्रकार है: 
 
1  –  A    I    J    Q    Y
2  –  B    K    R
3  –  C    G    L    S
4  –  D    M    T
5  –  E    H    N    X
6  –  U    V    W
7  –  O    Z
8  –  F    P
Lily sharma 
 
3+1+3+1 = Lily = 8
 
3+5+1+2+4+1= sharma = 16
 
16+8 = 24
 
2+4 = 6 
मूल नामांक 1 से लेकर 9 तक ही होते हैं तथा प्रत्येक अंक का भविष्यफल पृथक होता है। यदि नामांक 10 से अधिक हो तो इसे 1+0=1 ही मानेंगे। मूल नामांक निकालने हेतु साधारण गणित क्रिया आवश्यक होती है।
 
मूल नामांक-1- इस अंक से प्रभावित जातक सजावट पसंद, शौकीन, हंसमुख तथा घनिष्ठता बढ़ाने में निपुण होते हैं। संवेदनशील न होने से ये किसी घटना से आहत नहीं होते हैं। इनका स्वभाव तनिक गर्म रहता है। मनमौजी व्यक्तित्व होने से ये शौक, भड़कीले रंग पसंद करते हैं तथा तेज जीवन जीने के आदी होते हैं।
 
ये जीवन में कोई बड़ी सफलता न प्राप्त करते हुए भी जीवन सुखपूर्वक व्यतीत कर ही लेते हैं। इन्हें संकट के समय सूर्य आराधना, सूर्य नमस्कार, लाल पुष्प के साथ शास्त्रोक्त तरीके से करने से लाभ मिल सकेगा। 12 धारी का रुद्राक्ष तथा माणिक्य रत्न धारण करना फायदेमंद रहेगा।
मूल नामांक-2- इस अंक से प्रभावित जातक मृदु, शांत, कल्पनाशील तथा कलाकार व्यक्तित्व के होते हैं। कोमल प्रकृति होने से इनकी योजनाओं में कल्पनाशीलता उच्च कोटि की रहती है, मगर श्रम की कमी रहने से अच्छी योजनाएं भी धरी रह जाती हैं। इन्हें अपना आत्मविश्वास बनाए रखने हेतु निरंतर प्रेरणा की जरूरत है।
 
इन्हें सफेद अथवा हल्के रंग शुभ रहेंगे। उदर संबंधी विकार होने की संभावना रहने से खान-पान में सावधानी आवश्यक है। शीत प्रकृति होने से स्वास्थ्य नाजुक रहेगा। कष्ट के समय पीपल वृक्ष को जल तथा मोती रत्न धारण किया जा सकता है। शिव आराधना विशेष लाभ दे सकेगी।
मूल नामांक-3- इस अंक से प्रभावित जातक अपना प्रभुत्व दूसरों पर कायम होता देखना चाहते हैं। अनुशासन पसंद तथा नियमबंध जीवन जीने के आदी होने से इन्हें रक्षा सेवाओं तथा प्रशासन संबंधी नौकरी में विशेष सफलता प्राप्त हो सकेगी। जन्म कुंडली में शनि-राहु अशुभ योग में हो तो ये तानाशाह प्रवृत्ति के हो जाते हैं, इस कारण इनकी जीवन में शत्रुता अधिक हो जाती है।
 
शुभ प्रभाव में यह जातक अपनी साहसिक वृत्ति के कारण बड़ी सफलताएं भी प्राप्त करते देखे गए हैं। इन्हें गहरा पीला अथवा गुलाबी रंग शुभ रहेगा। इन्हें तंत्रिका संस्थान संबंधी रोग होने की आशंका है। कठिन समय में विष्णु-लक्ष्मी आराधना अथवा मां त्रिपुर सुंदरी साधना लाभ दे सकेगी।
मूल नामांक-4- इस मूल नामांक से प्रभावित जातक का नामांक प्रभावित जातक का व्यवहार विचित्र होता है। ये मनमानी करने के आदी होते हैं, अतएव जीवन में शत्रुता हो जाती है। ये मित्रता करें तो अंत तक साथ निभाते हैं। इन्हें बहुत संवेदनशील नहीं होना चाहिए तथा सदैव प्रसन्न रहने का प्रयास करना चाहिए।
मूल नामांक-5- इस मूल नामांक से प्रभावित जातक आनन-फानन में लखपति हो जाना चाहते हैं। ऐसा राहु की 'लग्न-कुंडली' में अशुभ योग में बैठने से होता है। ये उर्वर ‍मस्तिष्क के स्वामी होते हैं एवं खतरा उठाने का पर्याप्त साहस होने से जीवन में बड़ी-बड़ी सफलताएं प्राप्त करते देखे गए हैं। इनकी वृत्ति विनोदी होती है।
 
चूंकि ये जातक बड़े-बड़े खतरे उठाते हैं अतएव जीवन के उत्तरार्द्ध एवं अशुभ योग में इन्हें तंत्रिका संबंधी रोग होने की आशंका रहती है। इन्हें हरा रंभ शुभ रहेगा। कठिन समय में गणपति आराधना एवं 8 धारी का रुद्राक्ष तथा पन्ना रत्न धारण करने से लाभ हो सकेगा। इनका भाग्योदय जल्दी हो जाता है।
मूल नामांक-6- इस मूल नामांक से प्रभावित जातक राजसी प्रकृति के होते हैं। इनका व्यक्तित्व मोहक होता है। ये सजकर रहना पसंद करते हैं। 
 
ये दृढ़ निश्चयी होने से कभी-कभी इनका निश्चय हठ की सीमा तक पहुंच जाता है। ये बहुत विश्वसनीय मित्र होते हैं। ये जीवन में मध्यम सफलता प्राप्त करते हैं। इन्हें सफेद अथवा गुलाबी रंग शुभ रहेगा।
मूल नामांक-7- इस मूल नामांक से प्रभावित जातक परंपरावादी नहीं होते। इनका जीवन जीने का अपना तरीका, अपना आदर्श होता है। निगूढ़ विद्याओं के प्रति इनके मन में  आकर्षण होता है। जीवन के पूर्वार्द्ध में ये अकसर शानदार जीवन व्यतीत करते हैं, परंतु उत्तरार्द्ध में इनके व्यवहार को लेकर समस्या हो जाती है, ये असहनशील हो जाते हैं।
 
धातुक्षीणता अथवा शारीरिक दुर्बलता से पीड़ित हो सकते हैं। कठिन समय में मां दुर्गा की आराधना तथा हीरा रत्न धारण करने से लाभ हो सकता है। रुद्राक्ष 7 धारी का धारण किया जा सकता है। कठिन समय में बड़ वृक्ष को जल चढ़ाएं।
मूल नामांक-8- इस मूल नामांक से प्रभावित जातक गंभीर स्वभाव एवं सबल व्यक्तित्व परंतु उदासीन प्रकृ‍ति के होते हैं। इनकी अकसर परंपरा तथा धर्म में अगाध श्रद्धा होती है। समाज के निचले तबके की समस्याओं के प्रति इनके हृदय में विशेष स्थान होता है एवं उनकी प्रगति हेतु ये गुप्त रूप से सक्रिय रहते हैं। इन्हें संतान कष्ट संभव रहता है।
 
ये योग अथवा भक्तियोग में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इन्हें इंजीनियरिंग ठेकेदारी अथवा तकनीकी लाइन में सफलता प्राप्त होती है। इन्हें नीला (मोरपंखी) रंग शुभ रहेगा। कठिन समय में शनिदेव अथवा हनुमानजी की आराधना तथा बंदरों को गुड़-चना देने से लाभ मिल सकेगा। 
 
नीलम (जल नीलम) प्रयोग लाभ दे सकता है। रुद्राक्ष 14 धारी पहना जा सकता है।
मूल नामांक-9- इस मूल नामांक वाले व्यक्तियों का स्वभाव गर्म तथा संकल्प शक्ति प्रबल होने से यह बहुधा सफलता प्राप्त करते देखे गए हैं। इन्हें मेडिकल लाइन विशेषकर सर्जरी में विशेष सफलता प्राप्त हो सकती है।
 
गर्म स्वभाव होने से एवं स्वतंत्र वृत्ति होने से इन्हें दूसरों का हस्तक्षेप सहन नहीं होता है। अशुभ योग में इनका वैवाहिक जीवन भी प्राय: कष्ट से ही बीतता है एवं श‍त्रुओं से हानि संभव रहती है। ये स्‍त्रियों द्वारा आसानी से प्रभावित हो जाते हैं अतएव कभी-कभी उनसे हानि उठाते हैं।
 
-आलोक व्यास, खंडवा
 

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