16 जून 2025 से पंचक, जानें समय :
पंचक आरम्भ : 16 जून, 2025, सोमवार को दोपहर 01:10 मिनट से,
पंचक की समाप्ति या अंत: 20 जून, 2025, शुक्रवार को रात्रि 09:45 मिनट पर समाप्त होंगे।
पंचक क्या है? : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब चंद्रमा धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण और शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र में गोचर करता है, तब इन पांच दिनों की अवधि को 'पंचक' कहा जाता है। इसे 'भदवा' भी कहते हैं। पंचक का निर्माण तभी होता है जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है।
इस बार का पंचक कौन सा है? : सोमवार से प्रारंभ होने वाले पंचक को 'राज पंचक' कहा जाता है।
1. राज पंचक में शुभ कार्य: चूंकि इस बार यह 'राज पंचक' है, जो सोमवार से शुरू हुआ है, इसे अपेक्षाकृत शुभ माना जाता है। राज पंचक में सरकारी कार्यों में सफलता मिलने, पद-प्रतिष्ठा बढ़ने और संपत्ति से जुड़े कार्य करने में शुभता आती है।
2. विशेष परिस्थितियों में उपाय: यदि किसी आवश्यक कार्य को पंचक में करना ही पड़े (जैसे विवाह, मुंडन आदि जिनके लिए अन्य मुहूर्त न मिलें), तो ज्योतिषीय सलाह पर विशेष 'पंचक शांति' पूजा या उपाय करके कार्य किया जा सकता है।
3. नियमित पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान: व्रत, त्योहार, दैनिक पूजा-पाठ और किसी भी तरह के धार्मिक अनुष्ठान पर पंचक का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इन्हें निर्बाध रूप से किया जा सकता है।
4. विवाह और सगाई: कुछ मान्यताओं के अनुसार, बुधवार और गुरुवार को पड़ने वाले पंचक में सभी तरह के कार्य किए जा सकते हैं और इन दिनों सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। हालांकि, सामान्य पंचक में विवाह जैसे मांगलिक कार्यों से बचने की सलाह दी जाती है, लेकिन 'राज पंचक' में कुछ विद्वान इन्हें वर्जित नहीं मानते, बशर्ते कुंडली में कोई अन्य दोष न हो।
5. निवेश और सुख-सुविधाएं: कुछ विद्वानों का मानना है कि पंचक काल में वाहन खरीदना, घर या प्लॉट लेना, गहने/सोना खरीदना और वृक्षारोपण करना शुभ होता है, क्योंकि ऐसे काम बार-बार करने में सुख मिलता है और खुशी होती है।
पंचक में किन कार्यों को करने से बचें/ वर्जित कार्य कौन-कौनसे हैं: पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है ताकि अशुभ प्रभावों से बचा जा सके। ये मान्यताएं मुख्यतः उन कार्यों से संबंधित हैं, जिनमें हानि की आशंका होती है:
1. लकड़ी या ईंधन इकट्ठा करना: धनिष्ठा नक्षत्र में लकड़ी, घास या अन्य ज्वलनशील सामग्री एकत्रित करने से अग्नि का भय रहता है।
2. दक्षिण दिशा की यात्रा: दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है। पंचक के दौरान इस दिशा में यात्रा करने से बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि यह हानिकारक मानी जाती है।
3. घर की छत डालना या बनाना: रेवती नक्षत्र के दौरान निर्माणाधीन मकान की छत डालने से बचना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे धन हानि और घर में क्लेश हो सकता है।
4. पलंग या चारपाई का निर्माण: पंचक में पलंग या चारपाई बनवाना अशुभ माना जाता है, क्योंकि यह पांच मृत्यु के समान संकट को न्योता देने जैसा माना जाता है।
5. शव का अंतिम संस्कार: पंचक काल में किसी की मृत्यु होने पर शव का अंतिम संस्कार करना अशुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से उस कुटुंब या निकटजनों में पांच और मृत्यु हो सकती हैं। यदि ऐसा करना अनिवार्य हो, तो किसी योग्य पंडित से विधि-विधान से 'पंचक शांति' पूजा करवाकर ही अंतिम संस्कार करना चाहिए। इसके लिए आटे के पुतले बनाकर शव के साथ जलाए जाते हैं।
साथ ही ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, पंचक में गृह प्रवेश भी वर्जित माना जाता है।
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