अप्रैल 2018 में पंचक काल 11 अप्रैल, बुधवार से प्रारंभ हो गया है। यह पंचक काल रविवार, 15 अप्रैल रात्रि 3.53 मिनट तक जारी रहेगा। ज्योतिष के अनुसार अगर पंचक बुधवार या गुरुवार (बृहस्पतिवार) से प्रारंभ होता है तो उसे ज्यादा अशुभ नहीं कहा जाता।
ज्ञात हो कि पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद, पूर्वाभाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है। ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार शुभ ग्रह और नक्षत्रों में किए गए कार्य शुभ फल देते हैं इसलिए हमेशा सही ग्रह-नक्षत्रों को देखकर ही कोई भी कार्य शुरू करना चाहिए।
इन दिनों पंचक के मुख्य निषेध कर्मों को छोड़कर कोई भी कार्य किया जा सकता है। वैसे पंचक के कुछ मुख्य नियम माने गए हैं जिसमें-
1. विद्वानों के अनुसार पंचक के समय चारपाई नहीं बनवानी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से कोई बड़ा संकट आ सकता है।
2. पंचक के दौरान शव का अंतिम संस्कार करना वर्जित है। मान्यता के अनुसार पंचक में शवदाह करने से कुटुम्ब या क्षेत्र में 5 लोगों की मृत्यु होती है।
3. घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नहीं करना चाहिए।
4. दक्षिण दिशा में यात्रा न करें, क्योंकि दक्षिण दिशा, यम की दिशा है अर्थात इन नक्षत्रों में दक्षिण दिशा की यात्रा हानिकारक है।
5. उस समय घर की छत नहीं बनवाना चाहिए। इस नक्षत्र में धनहानि की आशंका होती है।
इसके साथ ही बुधवार और गुरुवार को शुरू होने वाले पंचक में ऊपर दी गई बातों का पालन करना जरूरी नहीं माना गया है। इन 2 दिनों में शुरू होने वाले दिनों में पंचक के 5 कामों के अलावा किसी भी तरह के शुभ काम किए जा सकते हैं।