Panchak 2022: सोमवार, 25 अप्रैल 2022 की सुबह से पंचक शुरू हो गया हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचक के इस दौरान कोई भी शुभ काम करने की मनाही होती है। हिन्दू धर्म में किसी भी मांगलिक कार्य का आरंभ करने से पहले शुभ मुहूर्त देखा जाता है। अत: अगर आप भी कोई शुभ कार्य करना चाहते हैं तो पहले पंचक के बारे में पता करने के बाद ही कोई भी कार्य करना उचित रहेगा।
हिन्दू धर्म की मान्यतानुसार पंचक काल के 5 दिनों को अशुभ समय माना जाता है और अशुभ समय में कोई भी शुभ कार्य करने से सफलता प्राप्त नहीं होती है। अत: इन दिनों में थोड़ा रुक कर ही शुभ कार्य करने पर विचार करना उचित रहता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रह का धनिष्ठा नक्षत्र के तृतीय चरण और शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद तथा रेवती नक्षत्र के चारों चरणों में भ्रमण काल पंचक काल कहलाता है। इस तरह चंद्र ग्रह का कुंभ और मीन राशि में भ्रमण पंचकों को जन्म देता है, अर्थात् पंचक के अंतर्गत धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तरा भाद्रपद, पूर्वा भाद्रपद व रेवती नक्षत्र आते हैं। इन्हीं नक्षत्रों के मेल से बनने वाले विशेष योग को 'पंचक' कहा जाता है।
इस बार सोमवार, 25 अप्रैल से पंचांग का शुभारंभ हो चुका है और सोमवार को लगने वाला यह पंचक राज पंचक कहलाता है तथा यह पंचक शुभ माना जाता है। मान्यतानुसार इसके प्रभाव से 5 दिनों में किए गए कार्यों में सफलता मिलती है, विशेषकर सरकारी कार्यों में प्रबल सफलता के योग बनते हैं तथा संपत्ति से जुड़े काम करना भी शुभ माना जाता है, जबकि अन्य दिनों में लगने वाले पंचक को अशुभ माना जाता है।
वैसे नक्षत्रों के अनुसार इन दिनों इन अशुभ घटनाओं को बनने का संयोग भी बनता है। जैसे-
1. धनिष्ठा नक्षत्र में अग्नि का भय रहता है।
2. शतभिषा नक्षत्र में कलह होने की संभावना रहती है।
3. पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में रोग बढ़ने की संभावना रहती है।
4. उतरा भाद्रपद में धन के रूप में दंड होता है।
5. रेवती नक्षत्र में धन हानि की संभावना रहती है।
ज्ञात हो कि यह पंचक 29 अप्रैल 2022 को सायंकाल तक जारी रहेगा। अत: किसी भी कार्य को करने से पहले योग्य पंडित से पूछकर ही कोई भी काम करना उचित रहेगा।