Astrology : शाम या संध्या को संधिकाल कहते हैं। किसी समय का परिवर्तन काल, संधि काल होता है जैसे रात के बाद दिन प्रारंभ होता है, लेकिन दोनों के बीच जो काल होता है उसे संधिकाल कहते हैं। इसी तरह सूर्यास्त के बाद दिन अस्त तक के काल को संध्या या शाम कहते हैं। सायंकाल के बाद तब प्रदोष काल होता है। इस काल में कुछ ऐसे कार्य हैं जिन्हें करने की मनाही होती है। उन्हीं में से 10 प्रमुख कार्य तो बिल्कुल न करें अन्यथा नुकसान होगा।
1. संध्याकाल में झाड़ू लगाने की मनाही है।
2. इस काल में सोना मना है।
3. सहवास करने की सख्त मनाही है।
4. खाना-पीना नहीं चाहिए।
5. यात्रा करना वर्जित है।
6. क्रोध करना, शोर-शराब करना, झगड़े करना, असत्य, शाप देना, रोना, जोर-जोर से हंसना, गालियां देना, अभद्र या कटु वचन कहना मना है।
7. इस काल में शपथ नहीं लेना चाहिए।
8. धन का लेन देना करना भी मना है।
9. वेद मंत्रों का पाठ करना या कोई शुभ कार्य करना।
10. चौखट पर खड़े होना।
उपरोक्त नियम का पालन नहीं करने से जहां एक ओर बरकत चली जाती है वहीं व्यक्ति कई तरह के संकटों से घिर जाता है। संध्या काल में शनि, राहु और केतु के साथ ही शिव के गण सक्रिय रहते हैं।