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पाक्षिक-पंचांग : 31 मार्च को पापमोचिनी एकादशी, 5 अप्रैल को अमावस्या

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पं. हेमन्त रिछारिया

'वेबदुनिया' के पाठकों के लिए 'पाक्षिक-पंचांग' श्रंखला में प्रस्तुत है चैत्र कृष्ण पक्ष का पाक्षिक पंचांग-
 
'पाक्षिक-पंचांग': चैत्र कृष्ण पक्ष
 
संवत्सर- विरोधकृत
संवत्- 2075 शक संवत् :1940
माह- चैत्र
पक्ष- कृष्ण पक्ष (22 मार्च से 5 अप्रैल तक)
ऋतु: वसंत
रवि: उत्तरायणे
गुरु तारा- उदित स्वरूप
शुक्र तारा- उदित स्वरूप 
सर्वार्थ सिद्धि योग- 23 मार्च, 25 मार्च, 30 मार्च, 4 अप्रैल, 5 अप्रैल    
अमृतसिद्धि योग- अनुपस्थित
द्विपुष्कर योग- अनुपस्थित
त्रिपुष्कर योग- अनुपस्थित
रविपुष्य योग- अनुपस्थित
गुरुपुष्य योग- अनुपस्थित
एकादशी- 31 मार्च (पापमोचिनी एकादशी व्रत)
प्रदोष- 2 अप्रैल (भौम प्रदोष)
भद्रा- 23 मार्च (उदय-अस्त), 26 मार्च (उदय)- 27 मार्च (अस्त), 30 मार्च (उदय-अस्त), 3 अप्रैल (उदय-अस्त)
पंचक: 1 अप्रैल को प्रारंभ
मूल- 26 मार्च से प्रारंभ- 28 मार्च को समाप्त
अमावस्या- 5 अप्रैल
ग्रहाचार: सूर्य- मीन, चंद्र- (सवा दो दिन में राशि परिवर्तन करते हैं), मंगल-वृष, बुध-कुंभ, गुरु-वृश्चिक (29 मार्च से धनु राशि में), शुक्र-कुंभ, शनि-धनु, राहु-मिथुन, केतु-धनु
व्रत/त्योहार: 25 मार्च- रंगपंचमी, 27 मार्च- शीतला सप्तमी (बसौड़ा), 5 अप्रैल-चंद्र वर्ष 2075 पूर्ण
 
(विशेष-उपर्युक्त गणनाओं में पंचांग भेद होने पर तिथियों/योगों में परिवर्तन संभव है।)
 
- ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया 
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र 
 

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