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किस नक्षत्र में विवाह करना श्रेष्ठ?
विवाह के लिए मुहूर्त की महत्ता के विषय में हम पाठकों को पूर्व में जानकारी दे चुके हैं। आज हम 'वेबदुनिया' के पाठकों को जानकारी देंगे कि विवाह हेतु किस नक्षत्र का चुनाव करना श्रेष्ठ होता है? विवाह के दिन श्रेष्ठ व उपयुक्त नक्षत्र का होना अतिआवश्यक है। वर्जित नक्षत्र में विवाह करने से भावी दंपति को दांपत्य सुख का अभाव होने की आशंका रहती है। आइए, जानते हैं कि विवाह हेतु कौन-कौन से नक्षत्र श्रेष्ठ व उपयुक्त होते हैं?
विवाह हेतु श्रेष्ठ नक्षत्र-
शास्त्रानुसार विवाह हेतु रोहिणी, तीनों उत्तरा, मूल, रेवती, स्वाति, मघा, अनुराधा, हस्त, चित्रा, श्रवण, धनिष्ठा, मृगशिरा व अश्विनी श्रेष्ठ नक्षत्र माने गए हैं।
वर्जित नक्षत्र-
यद्यपि पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों का राजा माना गया है एवं अत्यंत ही शुभ होता है किंतु विवाह हेतु 'पुष्य' नक्षत्र के लिए यह शुभ नहीं होता है। विवाह हेतु 'पुष्य' नक्षत्र वर्जित है। इसके साथ ही 'पूर्वा फाल्गुनी' नक्षत्र भी विवाह हेतु उचित नहीं है।
नक्षत्र वेध-
विवाह हेतु श्रेष्ठ नक्षत्र का चयन हो जाने के उपरांत उस नक्षत्र का वेध विचार करना अतिआवश्यक होता है। शास्त्रानुसार विवाह में नक्षत्र वेध एक गंभीर दोष माना गया है। इसे देखने के लिए पंचांग में 'पंचशलाका चक्र' दिया जाता है। 'पंचशलाका चक्र' के अनुसार जिस नक्षत्र का जिस नक्षत्र वेध हो, उस नक्षत्र में विवाह वाले दिन यदि कोई ग्रह स्थित हो तो उस दिन वेध दोष होने के कारण विवाह करना वर्जित होगा। उदाहरण के लिए यदि विवाह के दिन रेवती नक्षत्र है तो 'पंचशलाका चक्र' के अनुसार रेवती नक्षत्र का उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र से वेध है। अब यदि विवाह वाले दिन उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में कोई ग्रह स्थित होगा तो यह 'वेध दोष' माना जाएगा और इस दिन विवाह करना शास्त्रानुसार वर्जित रहेगा।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र
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(इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है)