व्यक्ति ने किस पक्ष की किस तिथि के किस प्रहर के किस मुहूर्त और नक्षत्र में जन्म लिया इससे उसका भविष्य निर्धारित होता। सिर्फ प्रहर नहीं सभी को देखकर ही कुछ कहा जा सकता है। जातक ने किस प्रहर में जन्म लिया है इस संबंध में सामान्य जानकारी।
रात का चौथा प्रहर : इस प्रहर को उषा काल कहते हैं। रात के 3 बजे से सुबह के 6 बजे के बीच के समय को रात का अंतिम प्रहर भी कहते हैं। यह प्रहर शुद्ध रूप से सात्विक होता है। जिन बच्चों का जन्म इस प्रहर में हुआ है वे बौद्धिक रूप से सक्षम और तेजस्वी होते हैं। उनमें आध्यात्म को लेकर भी जिज्ञासा होती है। हालांकि वे दुनियादारी की बातों से दूर ही रहते हैं। वे अपना मुकाम खुद हासिल करते हैं।
इस प्रहर में क्या करें : इस प्रहर में भी अन्न जल ग्रहण करने से बचें। इस प्रहर में उठकर नित्यकर्मों से निपटकर पूजा, अर्चना या ध्यान करने से लाभ मिलता है। अगर इस प्रहर में शिवलिंग पर नियमित रूप से जल चढ़ाया जाए तो जीवन की सारी समस्याएं दूर हो जाती है।