दिवाली यानी कार्तिक अमावस्या के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र को शुभतम माना गया है। हमारी भारतीय संस्कृति पूर्ण रूप से प्रकृति से जुड़कर दैनिक प्रक्रिया करने की सलाह देती है। वर्ष के सभी पुष्य नक्षत्रों में कार्तिक पुष्य नक्षत्र का विशेष महत्व है, क्योंकि इसका संबंध कार्तिक मास के प्रधान देवता भगवान लक्ष्मी नारायण से है।
इस दिन नवीन बही-खाते एवं लेखन सामग्री शुभ मुहूर्त में क्रय करके उन्हें व्यापारिक प्रतिष्ठान में स्थापित करना चाहिए। इसके अलावा स्वर्ण, रजत, बहुमूल्य रत्न, आभूषण आदि भी क्रय करना चाहिए। इस दिन जो कीमती वस्तुएं क्रय की जाती हैं, वे वर्षभर लाभकारी होती हैं। जब यह नक्षत्र आता है तो एक विशेष वार नक्षत्र योग निर्मित होता है जिसका संधिकाल में सभी प्रकार का शुभ फल सुनिश्चित हो जाता है।
आइए जानते हैं इस दिन क्या करें :-
* अपने घरों में सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय मां लक्ष्मी के सामने घी से दीपक जलाएं।
* किसी नए मंत्र की जाप की शुरुआत करें।
* पुष्य नक्षत्र के शुभ दिन नए कार्यों की शुरुआत करें।
* बहीखातों की पूजा करें व लेखा-जोखा भी शुरू करें।
* नए बर्तनों का क्रय और उपयोग करें।
* नया वाहन क्रय करने का यह सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है।
* स्वर्ण, रजत, बहुमूल्य रत्न, आभूषण आदि भी क्रय करना चाहिए। इस दिन जो कीमती वस्तुएं क्रय की जाती हैं, वे वर्षभर लाभकारी होती हैं।
खास कर कार्तिक पुष्य नक्षत्र के दिन अपने आराध्य देव, कुल देवता तथा श्रीहरि विष्णु और भगवान कार्तिकेय का पूजन अवश्य करना चाहिए। इस वर्ष पुष्य नक्षत्र दो दिन होने से इस समय में खरीदी की जा सकती है।
पुष्य नक्षत्र का योग सभी प्रकार के दोषों को हरने वाला और शुभ फलदायी है। यह दिन अपने आप बहुत ही मंगलकारी माना गया है।