हिन्दू धर्म में एकादशी को विष्णु से तो प्रदोष को शिव से जोड़ा गया है। दोनों ही व्रत महत्वपूर्ण होते हैं। प्रदोष को प्रदोष कहने के पीछे एक कथा जुड़ी हुई है। संक्षेप में यह कि चंद्र को क्षय रोग था, जिसके चलते उन्हें मृत्युतुल्य कष्टों हो रहा था। भगवान शिव ने उस दोष का निवारण कर उन्हें त्रयोदशी के दिन पुन:जीवन प्रदान किया अत: इसीलिए इस दिन को प्रदोष कहा जाने लगा। सोमवार को यदि प्रदोष है तो उसे सोम प्रदोष कहते हैं उसी तरह रविवार के प्रदोष को रवि प्रदोष कहा जाता है।
हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। अलग-अलग दिन पड़ने वाले प्रदोष की महिमा अलग-अलग होती है। सोमवार का प्रदोष, मंगलवार को आने वाला प्रदोष और अन्य वार को आने वाला प्रदोष सभी का महत्व और लाभ अलग अलग है। 10 जनवरी 2021 को रवि प्रदोष है। 10 जनवरी को पौष मास कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।
प्रदोष व्रत का मुहूर्त :
त्रयोदशी तिथि 10 जनवरी दिन रविवार को शाम 04 बजकर 52 मिनट से प्रारंभ होगी जो 11 जनवरी दिन सोमवार को दोपहर 02 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद ही आप पारण कर सकते हैं।
शिव पूजा के साथ ही विधिवत व्रत रखने के 10 फायदे
1. रवि प्रदोष के दिन नियम पूर्वक व्रत रखने से लंबी आयु प्राप्त होती है।
2. रवि प्रदोष के दिन शिव पूजा के साथ ही व्रत रखने से चिंताएं समाप्त होकर जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है।
3. रवि प्रदोष का संबंध सीधा सूर्य से होता है। अत: चंद्रमा के साथ सूर्य भी आपके जीवन में सक्रिय रहता है। इससे चंद्र और सूर्य अच्छा फल देने लगते हैं। भले ही वह कुंडली में नीच के होकर बैठे हों।
4. सूर्य ग्रहों का राजा है। रवि प्रदोष रखने से सूर्य संबंधी सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
5. यह प्रदोष सूर्य से संबंधित होने के कारण नाम, यश और सम्मान भी दिलाता है। अगर आपकी कुंडली में अपयश के योग हो तो यह प्रदोष करें।
6. त्रयोदशी (तेरस) के देवता हैं कामदेव और शिव। त्रयोदशी में कामदेव की पूजा करने से मनुष्य उत्तम भार्या प्राप्त करता है तथा उसकी सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। यह जयप्रदा अर्थात विजय देने वाली तिथि हैं।
7. पुराणों अनुसार जो व्यक्ति प्रदोष का व्रत करता रहता है वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता।
8. विधिवत इसका लगातार व्रत रखने से जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।
9. रवि प्रदोष, सोम प्रदोष व शनि प्रदोष के व्रत को पूर्ण करने से अतिशीघ्र कार्यसिद्धि होकर अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
10. सर्वकार्य सिद्धि हेतु शास्त्रों में कहा गया है कि यदि कोई भी 11 अथवा एक वर्ष के समस्त त्रयोदशी के व्रत करता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं अवश्य और शीघ्रता से पूर्ण होती है।