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आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और औषधीय दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है रुद्राक्ष, जानें महत्व, प्रभाव, विधि और कार्य

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डॉ. अनिता कपूर

, शुक्रवार, 13 जून 2025 (14:21 IST)
भारतीय ज्ञान परंपरा में रुद्राक्ष का भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। यह केवल एक धार्मिक आभूषण नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और औषधीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। नीचे रुद्राक्ष का महत्व और कार्य विभिन्न पहलुओं में बताया गया है:ALSO READ: भारतीय परंपरा में ध्यान के 10 विभिन्न स्वरूपों को जानें
 
1. धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व:
 
शिव से संबंध: रुद्राक्ष को भगवान शिव के आंसू से उत्पन्न माना जाता है। यह शिवभक्तों के लिए परम पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है।
 
साधना और ध्यान में सहायक: ध्यान, जाप और साधना में रुद्राक्ष माला का प्रयोग मानसिक एकाग्रता और ऊर्जा के संचार में सहायता करता है।
 
नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: रुद्राक्ष को नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और दुष्ट शक्तियों से रक्षा करने वाला माना जाता है।
 
 
2. मानसिक और भावनात्मक प्रभाव: 
तनाव और चिंता में राहत: रुद्राक्ष पहनने से मस्तिष्क की तरंगों में संतुलन आता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। 
क्रोध और भय को कम करता है: विशेष प्रकार के रुद्राक्ष जैसे पंचमुखी या एकमुखी क्रोध और भय को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
 
3. आयुर्वेद और स्वास्थ्य में उपयोग:
हृदय और रक्तचाप पर प्रभाव: वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि रुद्राक्ष की विद्युतीय विशेषताएं रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करती हैं।
 
तंत्रिका तंत्र को शांत करता है: यह मानसिक तनाव को कम कर, तंत्रिका तंत्र को स्थिर करने में सहायक है।
 
4. ज्योतिषीय और तांत्रिक दृष्टिकोण:
ग्रह दोष शमन: विशेष रुद्राक्ष (जैसे नौमुखी – राहु के लिए, दोमुखी – चंद्र के लिए) ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम करने में उपयोग किए जाते हैं।
 
तांत्रिक प्रयोग: तांत्रिक साधना में विशिष्ट रुद्राक्षों का प्रयोग ऊर्जा को जागृत करने और सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है।
 
5. रुद्राक्ष के कुछ प्रकार और उनके कार्य:
रुद्राक्ष का प्रकार : मुख (Faces): कार्य / लाभ
एकमुखी : 1- आत्मज्ञान, मोक्ष
पंचमुखी : 5- स्वास्थ्य, ध्यान
सातमुखी : 7- धन, व्यापार में वृद्धि
नौमुखी : 9- राहु दोष निवारण
ग्यारहमुखी: 11- साहस, शक्ति, युद्ध जीतना
 
रुद्राक्ष भारतीय परंपरा में केवल एक दैविक बीज नहीं, बल्कि चेतना को जागृत करने, शरीर और मन को संतुलित करने तथा आध्यात्मिक विकास को गति देने वाला एक शक्तिशाली माध्यम है। इसकी ऊर्जा को समझकर और सही तरीके से उपयोग करके व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन, स्वास्थ्य और शांति प्राप्त कर सकता है।
 
रुद्राक्ष प्रयोग की विधि (संक्षेप में):
जप माला: 108 + 1 रुद्राक्ष की माला से जाप करें।
धारण: सोमवार या गुरु से प्राप्त विधिपूर्वक धारण करें।
शुद्धि: गंगाजल, पंचामृत या गौमूत्र से शुद्ध कर धारण करें।
मंत्र: पंचमुखी रुद्राक्ष हेतु:
ॐ नमः शिवाय या ॐ ह्रीं नमः
परंपरा के अनुसार प्रत्येक मुख के लिए अलग-अलग बीज मंत्र भी होते हैं।ALSO READ: ज्ञान की ज्योति: भारतीय अध्यात्म और परंपरा का संगम, पढ़ें रोचक जानकारी
 
अंत में यही कहूंगी कि, भारतीय ज्ञान परंपरा केवल एक बौद्धिक विरासत नहीं, बल्कि जीवन जीने की एक समग्र दृष्टि है, जिसमें दर्शन, विज्ञान, कला, साहित्य, योग, और अध्यात्म, ध्यान और ज्योतिष का अद्भुत समन्वय है। इसकी जड़ें हजारों वर्षों पुरानी होते हुए भी, इसकी शाखाएं आज भी आधुनिक मानवता को दिशा प्रदान कर रही हैं।
 
वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब मानव मूल्य और संतुलित जीवन शैली की पुनर्खोज हो रही है, तब भारतीय ज्ञान परंपरा एक प्रकाशस्तंभ के रूप में मार्गदर्शन देने में सक्षम है। यह परंपरा हमें केवल ज्ञान नहीं देती, बल्कि ज्ञान के साथ विवेक, करुणा और संतुलन का पाठ भी पढ़ाती है। अतः यह आवश्यक है कि हम इस बहुमूल्य धरोहर को न केवल संरक्षित करें, बल्कि इसका सार भावी पीढ़ियों तक पहुंचाएं, जिससे यह सतत् प्रगति और मानव कल्याण का माध्यम बन सके।ALSO READ: भारतीय परंपरा में ज्योतिष का स्थान, महत्व, उपयोग और क्या है वेदों से संबंध
 

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