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वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी 2021: पूजन विधि, शुभ मुहूर्त, जानिए कैसे दें चंद्रमा को अर्घ्य

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हिन्दू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास का आरंभ 21 अक्टूबर 2021 से हो गया है और आज, 24 अक्टूबर 2021 को करवा चौथ और संकष्टी चतुर्थी का खास पर्व मनाया जा रहा है। प्रतिवर्ष जहां कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का पर्व मनाया जाता है, वहीं इसी दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी का पर्व भी होता है। इस दिन भगवान श्री गणेश का विशेष पूजन किया जाता है। हिन्दू धर्म में श्री गणेश को प्रथम पूज्य देव माना गया है। अत: किसी भी शुभ कार्य के पहले भगवान श्री गणेश का पूजन करके उनको प्रसन्न किया जाता है। 
 
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी पूजन विधि- सुबह जल्दी उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करके साफ-स्वच्छ वस्त्र धारण करके व्रत रखने का संकल्प लें। सायंकाल पूजन के समय दूर्वा घास, फूल, अगरबत्ती आदि चढ़ाकर पूजा करें। चतुर्थी कथा का पाठ करके आरती करके पूजन समाप्त करें। भगवान चंद्रमा का पूजन करके अर्घ्य दें। 
 
कैसे दें चंद्रमा को अर्घ्य- चांदी या मिट्टी के पात्र में पानी में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए। चंद्रमा को अर्घ्य देने से मन में आ रहे समस्त नकारात्मक विचार, दुर्भावना और स्वास्थ्य को लाभ मिलता है। चंद्रमा को अर्घ्य देने से चंद्र की स्थिति भी मजबूत होती है। सबसे पहले एक थाली में मखाने, सफेद फूल, खीर, लड्डू और गंगाजल रखें, फिर ॐ चं चंद्रमस्ये नम:, ॐ गं गणपतये नम: का मंत्र बोलकर दूध और जल अर्पित करें। सुगंधित अगरबत्ती जलाएं। भोग लगाएं और फिर प्रसाद के साथ व्रत का पारण करें।

 
आज चंद्र दर्शन क्यों जरूरी- चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है। इसलिए भगवान श्री गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन जरूरी होता हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा करने सुख-समृद्धि के साथ जीवन में खुशहाली आती है।
 
चंद्रमा को अर्घ्य क्यों दिया जाता है- चंद्रमा को अर्घ्य देने से अखंड सौभाग्य का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। चंद्रमा को औषधियों का स्वामी और मन का कारक माना जाता है। चंद्रदेव की पूजा के दौरान महिलाएं संतान के दीर्घायु और निरोगी होने की कामना करती हैं। 
 
वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी तिथि और पूजन के शुभ मुहूर्त
 
संकष्टी चतुर्थी तिथि का प्रारंभ रविवार, 24 अक्टूबर 2021, तड़के 03:01 मिनट से हो गया है और सोमवार, 25 अक्टूबर 2021 को तड़के 05:43 मिनट पर चतुर्थी तिथि का समापन होगा। इस दिन विघ्नहर्ता का पूजन करके उन्हें प्रसन्न किया जाएगा। 
 
चंद्रोदय का समय- वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रमा का उदय रात 08.07 मिनट पर होगा। जो महिलाएं आज चतुर्थी या करवा चौथ का व्रत रख रही हैं वे इस समय पर चंद्रमा का पूजन और फिर व्रत का पारण करके व्रत को पूर्ण करें। ज्ञात हो कि कार्तिक मास 19 नवंबर 2021 को समाप्त होगा।


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