प्रत्येक माह में 2 चतुर्दशी और वर्ष में 24 चतुर्दशी होती है। चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। इस दिन व्रत और पूजा करने का बहुत महत्व माना गया है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस बार वैशाख के मासिक शिवरात्रि का व्रत 9 मई 2021 रविवार को पड़ रहा हैं।
इस साल मई महीने अर्थात में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्दशी तिथि को पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि के दिन 2 शुभ योग बन रहे हैं। पहला प्रीति योग और दूसरा आयुष्मान योग बन रहा है। इस योगों में भगवान शिव की पूजा करना विशेष फलदायी माना जाता है। कहा जाता है कि इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं।
प्रीति योग : इस योग में विवाह कार्य भी संपन्न किया जा सकता है। जैसा कि इसका नाम है प्रीति योग इसका अर्थ यह है कि यह योग परस्पर प्रेम का विस्तार करता है। प्रीति योग के स्वामी विष्णु है। यदि विवाह के समय सही लग्न, मुहूर्त आदि नहीं है और सौभाग्य योग भी नहीं है तो प्रति योग में विवाह करना शुभ माना जाता है। कहते भी है कि कि प्रीति संबंध करना। प्रेम विवाह करने में अक्सर इस योग का ध्यान रखा जाता है। अक्सर मेल-मिलाप बढ़ाने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करने से सफलता मिलती है। झगड़े निपटाने या समझौता करने के लिए भी यह योग शुभ होता है। इस योग में किए गए कार्य से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है।
आयुष्मान योग : भारतीय संस्कृति में किसी की लंबी आयु के लिए उसे आयुष्यमान भव: का आशीर्वाद देते हैं। कहने का तात्पर्य यह कि इस योग में किए गए कार्य लंबे समय तक शुभ फल देते रहते हैं या उनका असर लंबे समय तक रहता है। इस योग में किया गया कार्य जीवन भर सुख देने वाला होता है।
शिव चतुर्दशी : इस दिन भगवान शिव की कृपा पाने के लिए विधि-विधान से पूजा की जाती है।
गर्ग संहिता के मत से-
उग्रा चतुर्दशी विन्द्याद्दारून्यत्र कारयेत्।
बन्धनं रोधनं चैव पातनं च विशेषतः।।
1.चतुर्दशी तिथि यह रिक्ता संज्ञक है एवं इसे क्रूरा भी कहते हैं। यह उग्र अर्थात आक्रामकता देने वाली तिथि हैं। इसीलिए इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित है।
2. अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रांति, चतुर्दशी और अष्टमी, रविवार श्राद्ध एवं व्रत के दिन स्त्री सहवास तथा तिल का तेल, लाल रंग का साग तथा कांसे के पात्र में भोजन करना निषेध है।
3. चतुर्दशी (चौदस) के देवता हैं शंकर। इस तिथि में भगवान शंकर की पूजा करने से मनुष्य समस्त ऐश्वर्यों को प्राप्त कर बहुत से पुत्रों एवं प्रभूत धन से संपन्न हो जाता है।
4. इस तिथि की दिशा पश्चिम है। पश्चिम के देवता शनि हैं। चतुर्दशी तिथि चन्द्रमा ग्रह की जन्म तिथि है। चतुर्दशी की अमृतकला को स्वयं भगवान शिव ही पीते हैं।