हस्ताक्षर भी मस्तिष्क के आदेश से ही अंगुलियों द्वारा संपादित होता है। इस वजह से इस माध्यम से व्यक्ति मनोवृत्ति का पता लगाया जा सकता है। जो लोग हस्ताक्षर करते समय पहला अक्षर थोड़ा बड़ा और उसके बाद पूरा उपनाम लिखते हैं वे अद्भुत प्रतिभा के धनी होते हैं। जानिए क्या आप भी हैं इसमें शामिल-
• हस्ताक्षर करने के बाद उसे रेखांकित करने की आदत शक्तिशाली व मजबूत व्यक्ति में देखी गई है। छोटा-सा हस्ताक्षर स्वार्थी व निग्रही व्यक्तित्व को दर्शाता है। यदि हस्ताक्षर का आकार उसके अक्षर के अनुपात में बड़ा हो तो व्यक्ति में शासन करने की उत्कृष्ट अभिलाषा होती है।
• हस्ताक्षर बदलते हैं तो स्वभाव बदलता है और स्वभाव बदलता है तो हस्ताक्षर बदलते हैं।
• साफ-सुथरे पढ़े जा सकने वाले हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति व्यवस्थित होते हैं।
• हस्ताक्षर नीचे से ऊपर की ओर उठे हुए हों तो वह मानव महत्वाकांक्षी होता है। अपने उद्देश्य को हर कीमत पर पाकर रहने वाला होता है।
• यदि शिरो लहरदार हो तो वह व्यक्ति अपनी इच्छाओं के लिए अथवा अपने किसी भी कार्य के लिए भी किसी प्रकार गोपनीय कदम उठा सकता है।
• यदि हस्ताक्षर का प्रथम अक्षर बड़ा हो और शेष अक्षर बराबर हों तो वह व्यक्ति अत्यंत घमंडी तथा स्वाभिमानी भी होता है। वह चापलूसी पसंद होता है।
• यदि हस्ताक्षर का प्रथम अक्षर बड़ा हो और अंतिम अक्षर एकदम छोटा हो तो वह बड़ी शान से धूमधाम से कार्य का प्रारंभ करता है। और एकदम नीचे गिर जाता है। वह व्यक्ति कल्पना जगत में विचरण करने वाला होता है।
• यदि हस्ताक्षर के नीचा यानी उसमें एक सीधी रेखा की लाइन लगा रखी है तो वह व्यक्ति हमेशा दूसरों की याद व आशीर्वाद पर अपना जीवन व्यतीत करता रहता है। वह खुशामदी और चापलूस होता है। ऐसे व्यक्ति को साझेदारी का कार्य पसंद होता है। रेखा के साथ-साथ यदि रेखा के नीचे बिंदु हो तो वह व्यक्ति अपने वचन पर पक्का रहने वाला होता है। वह अपने निहित स्वार्थ के लिए दुहरे वातावरण को रचता है।
• यदि हस्ताक्षर एक सीधी लाइन में हो तो वह तटस्थ, ईमानदार, उदार, विश्वसनीय होता है। वह अपनी धुन का पक्का, सीधा-साधा और निश्चल और छल स्वभाव का होता है।
• बात बताकर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति चापलूसी पसंद होता है और अंहकारी होता है।