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Paush Amavasya 2024 : पौष सोमवती अमावस्या का महत्व, पितृदोष से मुक्ति का खास दिन

हमें फॉलो करें Paush Amavasya 2024 : पौष सोमवती अमावस्या का महत्व, पितृदोष से मुक्ति का खास दिन

WD Feature Desk

, सोमवार, 30 दिसंबर 2024 (14:37 IST)
Somvati Amavasya 2024 Date: आज 30 दिसंबर 2024, दिन सोमवार को पौष मास की अंतिम तथा सोमवती अमावस्या मनाई जा रही है। पौष माह की अमावस्या तिथि पर सोमवार होने के कारण इसे सोमवती अमावस्या कहा गया है।
 
सोमवती अमावस्या का महत्व: धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। यह दिन पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए बेहद शुभ बताया गया है। इस दिन भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करने की परंपरा भी है। साथ ही यह दिन मौन व्रत का भी माना गया है। कहा जाता है कि इस दिन मौन रहने से व्रतधारी सहस्र गोदान का फल प्राप्त होता है। हिन्दू धर्म में इस अमावस्या का विशेष महत्व होने के कारण सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति के दीर्घायु रहने की कामना से भी इस व्रत को करने का विधान है। 
 
Highlights
  • सोमवती अमावस्या की के बारे में जानें।
  • पौष अमावस्या कब है? 
  • सोमवती अमावस्या के दिन किसकी पूजा करनी चाहिए?
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1. सनातन धर्म में पौष मास की यह अमावस्या बहुत फलदायी होती है। अत: इस तिथि पर घर के पूर्वजों के निमित्त पितृ तर्पण, श्राद्ध कर्म आदि किए जाते हैं। 
 
2. इस दिन तीर्थ स्नान तथा नदी स्नान के पश्चात तिल तर्पण करने से तथा जप-तप, दान-पुण्य आदि कार्य करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। 
 
3. इस दिन स्नान के बाद देवी-देवताओं का पूजन और सूर्य नारायण को तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, लाल चंदन डालकर अर्घ्य देना बहुत ही उत्तम माना गया है, इससे भी कुंडली के अशुभ दोषों के प्रभाव से मुक्ति मिलती हैं। 
 
4. पौष अमावस्या के दिन पवित्र नदियों तथा तट पर स्नान करके पूजन करने तथा गरीब तथा असहाय लोगों को गरम वस्त्र, तिल, कंबल, कपड़े, जूते, मिष्ठान, घी, आटा, शकर, दाल, फल, साग-भाजी आदि चीजों का दान करने से अमोघ फल मिलता है। साथ ही इससे पितरों को मोक्ष भी मिलता है। साथ ही जिन लोगों के कार्यों में बार-बार बाधा आती हैं, उन्हें तो सोमवती अमावस्या के दिन ये चीजें अवश्य ही दान करना चाहिए, जिससे की पितरों की कृपा उन पर हमेशा बनी रहे।
 
5. पौष या सोमवती अमावस्या पर किए गए उपाय, पीपल पूजन, यज्ञ-हवन, तुलसी की परिक्रमा, मंत्र जाप, आदि कार्य से पितृ सुखी, समृद्ध और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देते हैं। इस दिन दिन गाय, कुत्ते, चींटियों तथा कौवों को भोजन खिलाने से भी पितृ तृप्त होते हैं।

1. पौष सोमवती अमावस्या का धार्मिक महत्व
 
इस दिन सूर्य और चंद्रमा का विशेष संयोग बनता है :
अमावस्या तिथि पर चंद्रमा अदृश्य रहता है, और सोमवार का संबंध चंद्रदेव से है।
सूर्य और चंद्रमा की स्थिति से इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
 
होता है पितरों की आत्मा की शांति  का दिन:
इस दिन पितरों (पूर्वजों) की आत्मा की शांति के लिए विशेष पूजा और तर्पण किया जाता है।
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और पितृ तर्पण करने से पितृ दोष का निवारण होता है।
 
पौष सोमवती अमावस्या पर दान-पुण्य का महत्व :
गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
अन्न, वस्त्र, और तिल दान करने का विशेष महत्व है।
 
पवि‍त्र स्थानों पर स्नान का महत्व :
गंगा, यमुना, नर्मदा, और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
माना जाता है कि इस दिन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
2. पितृदोष से मुक्ति का महत्व : 
पितृ दोष क्या है? :
पितृ दोष तब उत्पन्न होता है जब किसी व्यक्ति के पूर्वजों की आत्मा अशांत हो या उनकी उचित रूप से श्रद्धा, तर्पण, और श्राद्ध न किया गया हो।
 
पितृ दोष मुक्ति के उपाय:
पवित्र नदियों में स्नान: गंगा, यमुना, या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करें।
पितृ तर्पण: पितरों के नाम से जल, तिल, और पिंडदान करें।
दान करें: अन्न, वस्त्र, तिल, और दक्षिणा का दान करें।
पीपल वृक्ष की पूजा: पीपल वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।
भगवान विष्णु की आराधना: विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
 
सोमवती अमावस्या का विशेष उपाय:
इस दिन 108 बार पीपल वृक्ष की परिक्रमा करने से पितृ दोष का निवारण होता है।
घर में शांति और समृद्धि आती है।
 
3. सोमवती अमावस्या पर किए जाने वाले प्रमुख कार्य
- सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान।
- पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान।
- गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना।
- तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाना।
- शिवलिंग पर जल और बेलपत्र चढ़ाना।
- पीपल वृक्ष की 108 परिक्रमा करना।
- भगवान विष्णु और शिव की पूजा करना।
 
4. ज्योतिषीय महत्व
सोमवती अमावस्या पर चंद्रमा और सूर्य का मिलन विशेष फलदायी होता है।
इस दिन किए गए उपायों से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
कुंडली में पितृ दोष, चंद्र दोष, और सूर्य दोष के निवारण के लिए यह दिन विशेष फलदायी होता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।


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