Sun transit in aries: मेष संक्रांति से हिन्दू नववर्ष के बाद सौरवर्ष की शुरुआत होती है। 14 अप्रैल गुरुवार को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष राशि में प्रवेश करेगा। मेष संक्रांति के अलावा इसे विषुव संक्रांति। इस दिन पंजाब में बैसाखी, असम में बिहु, केरल में विशु, बंगाल में पोहला बोइशाख का पर्व मनाते हैं। सूर्य का मेष राशि में प्रवेश सौरवर्ष या सोलर कैलेंडर का पहला माह है।
मेष संक्रांति समय : पंचांग के अनुसार सूर्य 14 अप्रैल दिन गुरुवार को सुबह 08:56 बजे मेष में प्रवेश करेगा।
मेष संक्रांति 2022 पुण्य काल : मेष संक्रांति का पुण्य काल 7 घंटे 15 मिनट का होगा। इसका प्रारंभ सुबह 05 बजकर 57 मिनट से होगा, जो दोपहर 01 बजकर 12 तक रहेगा। यानी कुल 7 घंटे तक पुण्य काल रहेगा। इस बीच सुबह 06 बजकर 48 मिनट पर शुरु होगा और इसका समापन 11 बजकर 04 मिनट पर होगा। यानी महापुण्य काल 04 घंटे 16 मिनट तक का रहेगा।
दान और पूजा का मिलेगा अक्षय लाभ : इस दिन सूर्य को अर्घ्य देना और गरीबों को दान देने से अक्षय पुण्य लाभ मिलता है। किसी शुद्ध जलाशय में स्नान करके पहले सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके बाद उनकी पूजा करें। फिर यथाशक्ति अन्न, जल, कपड़े और अन्य चीजों के दान का संकल्प लेना चाहिए और फिर दान करना चाहिए।
दान में आप चाहें तो अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल, गाय को घास, तांबे का बर्तन, लाल कपड़े, गेहूं, गुड़, लाल चंदन आदि का दान करें।
महत्व : मेष संक्रांति सौर मास का पहला माह भी माना गया है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। यह मास प्राय: तीस दिन का होता है। सूर्य एक राशि में 30 दिन तक रहता है। सौर माह का पहला माह है मेष। सौरमास के नाम : मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन। खगोलशास्त्र के अनुसार मेष संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायन की आधी यात्रा पूर्ण कर लेते हैं। सौर-वर्ष के दो भाग हैं- उत्तरायण छह माह का और दक्षिणायन भी छह मास का।