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Kumbh Sankranti 2025: कुंभ संक्रांति का क्या है खास महत्व और पूजा विधि

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WD Feature Desk

, मंगलवार, 11 फ़रवरी 2025 (14:21 IST)
Kumbh Sankranti : सूर्य कुंभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना है, जब सूर्य मकर राशि से कुंभ राशि में प्रवेश करता है। यह घटना हिंदू पंचांग के अनुसार माघ मास में होती है। कुंभ संक्रांति का होना बेहद शुभ माना जाता है। कुंभ संक्रांति को महाकुंभ के नाम से भी जाना जाता है और इसे दान, पुण्य और स्नान के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। वर्ष 2025 में यह दिन 12 फरवरी, दिन बुधवार को पड़ रहा है, जब कुंभ संक्रांति मनाई जाएगी।ALSO READ: सूर्य व शनि की कुंभ राशि में युति, बढ़ेंगी हिंसक घटनाएं, जानिए क्या होगा 12 राशियों पर असर

आइए यहां जानते है सूर्य कुंभ संक्रांति का महत्व और पूजा विधि... 
 
सूर्य कुंभ संक्रांति का महत्व: धार्मिक एवं ज्योतिष शशस्त्र की मान्यतानुसार कुंभ संक्रांति के दिन पुण्य काल का विशेष महत्व होता है। इस समय में किए गए धार्मिक कार्य, जैसे कि स्नान, दान और पूजा, विशेष फलदायी माने जाते हैं। कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। 
 
साथ ही इस दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता है, और उनकी पूजा करने से लंबी आयु और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। कुंभ राशि के स्वामी शनि देव हैं, जो कि भगवान सूर्य देव के पुत्र हैं। इस दिन सूर्य और शनि का मिलन होता है, इसलिए कुंभ संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाता है।

इस दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय किए जाते हैं। इस दिन तिल का विशेष महत्व है। इसलिए तिल से बने पदार्थों का सेवन करें और तिल का दान करें। बता दें कि इस बार 12 फरवरी को माघ पूर्णिमा के दिन प्रयागराज महाकुंभ में त्रिवेणी संगम कुंभ स्नान पर भी होगा।ALSO READ: सूर्य का शनि की राशि मकर में गोचर, जानिए 12 राशियों का राशिफल
 
कुंभ संक्रांति की पूजा विधि जानें: 
1. सूर्य कुंभ संक्रांति के दिन प्रात:काल सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
 
2. भगवान सूर्य नारायण के सामने व्रत का संकल्प लें।
 
3. फिर तांबे के लोटे में जल, तिल, दूर्वा और अक्षत मिलाकर सूर्य देव को अर्घ्य दें। अर्घ्य देते समय 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें।
 
4. भगवान सूर्य की पूजा करके उन्हें पुष्‍प, फल, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
 
5. कुंभ संक्रांति की कथा पढ़ें या सुनें।
 
6. इस दिन दान करना बहुत शुभ माना जाता है। अत: इस दिन अपने सामर्थ्यनुसार अन्न, वस्त्र, तिल, गुड़, कंबल आदि दान करना फलदायी साबित होता हैं।
 
7. सूर्य-कुंभ संक्रांति के भगवान सूर्य के मंत्रों का जाप करें।
 
8. कुंभ संक्रांति तिथि पर या इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।
 
9. कुंभ संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर लें।
 
10. इस दिन पितरों का तर्पण भी करना चाहिए। अत: पितृ तर्पण, काले तिलयुक्त जल अर्घ्य अवश्‍य दें।
 
धार्मिक मान्यता के मुताबिक कुंभ संक्रांति एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और उसे सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

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