18 अगस्त से राहु ने कर्क में व केतु ने मकर राशि में प्रवेश कर लिया है। वहीं सूर्यदेव ने भी राशि परिवर्तन किया है। सूर्य ने कर्क राशि से सिंह राशि में प्रवेश किया है। भादो मास में जब सूर्यदेव अपनी राशि परिवर्तन करते हैं तो उस संक्रांति को सिंह संक्रांति कहते हैं। इस संक्रांति में घी के सेवन का विशेष महत्व है।
चुंकि इस दिन घी का प्रयोग आवश्यक रूप से किया जाता है, अत: सिंह संक्रांति को घी संक्रांति भी कहा जाता है।
आयुर्वेद में चरक संहिता के अंतर्गत यह वर्णित है कि गाय का शुद्ध (गौ घृत) अर्थात देसी घी स्मरण शक्ति, बुद्धि, ऊर्जा, बलवीर्य, ओज बढ़ाता है, गाय का घी वसावर्धक है तथा वात, पित्त, बुखार और विषैले पदार्थों का नाशक है। मान्यता के अनुसार इस दिन जो गाय का घी नहीं खाता उसे अगले जन्म में गनेल यानी घोंघे के रूप में जन्म लेना पड़ता है।
वहीं दूसरी ओर राहु और केतु के स्थान परिवर्तन से जीवन पर असर होगा। राहु व केतु पूर्व जीवन के कर्मों के अनुसार फल देते हैं। राहु-केतु के बुरे प्रभावों से बचने के लिए शनिवार को सात्विक रहने तथा हनुमान जी को लाल फूल व मिठाई चढ़ाने से राहत मिलती है।