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Astrological predictions 2025: इन ग्रहों और ग्रहण के संयोग से देश और दुनिया में हो रहा है उत्पात, आने वाले समय में होगा महायुद्ध

ग्रह-नक्षत्रों के संयोग से 2025 में हुए वैश्विक घटनाक्रम: एक ज्योतिषीय विश्लेषण

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 11 सितम्बर 2025 (13:27 IST)
Planetary and Eclipse Conjunctions Year 2025: वर्ष 2025, जिसे ज्योतिषीय दृष्टि से कई अशुभ योगों वाला माना गया था, देश और दुनिया में कई भयानक घटनाओं का गवाह बना। इस वर्ष में ग्रहों और ग्रहणों के विशेष संयोगों को भूकंप, युद्ध, जन विद्रोह और प्राकृतिक आपदाओं जैसी घटनाओं का कारण माना जा रहा है। आइए, इन घटनाओं और उनके ज्योतिषीय आधार पर एक विस्तृत नज़र डालते हैं।
 
ग्रहण और ग्रहों का अशुभ योग
1. ग्रहण योग:
  • 14 मार्च को मीन संक्रांति के दिन पूर्ण चंद्र ग्रहण लगा।
  • 29 मार्च को शनि ने मीन राशि में प्रवेश किया, और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी हुआ।
  • इसके बाद, 7 सितंबर को चंद्र ग्रहण हुआ और अब 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण होगा।
  • ज्योतिष के अनुसार, जब दो ग्रहणों के बीच 14 दिनों का अंतर होता है, तो यह देश और दुनिया में बड़े भूकंपों और राजनीतिक उथल-पुथल का कारण बनता है। 2025 में यह संयोग कई बार बना, जिसका असर स्पष्ट रूप से देखा गया।
 
2. ग्रहों के योग:
  • शनि मीन योग: 29 मार्च को शनि का मीन राशि में गोचर हुआ और वह वक्री चाल चला।
  • अतिचारी बृहस्पति: 14 मई को गुरु ग्रह वृषभ से निकलकर मिथुन राशि में अतिचारी हो गए, जिसे दो देशों के बीच युद्ध और जलवायु परिवर्तन का कारक माना जाता है।  गुरु 8 वर्षों तक अतिचारी चाल चलेंगे। ऐसा महाभारत काल में हुआ था।
  • राहु गोचर: 18 मई को राहु ने मीन से निकलकर कुंभ में और केतु ने सिंह राशि में गोचर किया। राहु के इस गोचर को तकनीकी क्षेत्र में विस्तार से जोड़कर देखा जाता है।
 
इन गोचरों के साथ ही कई अन्य अशुभ योगों का निर्माण हुआ:
शनि-मंगल का नवपंचम योग: युद्ध और हिंसा का कारण।
राहु और शनि का पिशाच योग: सामाजिक अशांति और संघर्ष का सूचक।
मंगल और केतु का कुंज केतु योग: दुर्घटनाओं और आगजनी की आशंका।
शनि-मंगल और राहु-मंगल का षडाष्टक योग: बड़े टकराव और आपदाओं का प्रतीक।
खप्पर योग: युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के लिए अशुभ माना जाने वाला योग।
इन सभी अशुभ योगों के कारण दुनिया में घटनाएं, दुर्घटनाएं, हादसे, भूकंप, प्राकृतिक आपदाएं, जन विद्रोह और युद्ध जैसे हालात देखने को मिले। वर्ष के अंत तक यह ग्रह योग बने रहेंगे।
 
भारत में हुए प्रमुख घटनाक्रम
आपदाएँ और दुर्घटनाएँ:
जनवरी में एक हादसे में 37 श्रद्धालुओं की जान गई, और फरवरी में दिल्ली में भगदड़ से 10 लोगों की मौत हुई।
अप्रैल में गुजरात की एक पटाखा फैक्ट्री में आग लगने से 17 लोगों की मृत्यु हुई।
जून में बेंगलुरु में आरसीबी की जीत के जश्न से पहले भगदड़ में 11 लोग मारे गए।
अहमदाबाद में एक भयानक प्लेन हादसे में 275 लोगों की मौत हुई।
पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने और बाढ़ की घटनाओं से जनवरी से अगस्त तक 600 से अधिक लोग मारे गए, और हजारों लोग विस्थापित हुए।
 
आतंकवाद और रक्षा:
पहलगाम आंतकवादी हमला: 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 26 पर्यटकों को गोली मार दी।
ऑपरेशन सिंदूर: इसके जवाब में 7 मई को भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान पर हमला कर आतंकवादियों के ठिकानों को नष्ट किया।
 
दुनिया में हुए प्रमुख घटनाक्रम
युद्ध और तनाव:
  • इजराइल-ईरान युद्ध, रूस-यूक्रेन संघर्ष और थाईलैंड-कंबोडिया सीमा विवाद जैसे तनावों के कारण तीसरे विश्व युद्ध की आशंका बढ़ गई।
  • बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड, म्यांमार में पहले से ही अस्थितरता है।
  • अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए।
 
जन विद्रोह और सत्ता परिवर्तन:
  • 7 सितंबर के चंद्र ग्रहण के बाद नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध के खिलाफ बड़ा जन विद्रोह हुआ। 'जेन-जी' के नेतृत्व में हुए इन प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल को इस्तीफा देने के लिए मजबूर कर दिया।
  • इसके बाद फ्रांस में भी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें लाखों लोग सड़कों पर उतर आए।
  • पाकिस्तान में भी इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक उथल-पुथल जारी रही।
 
प्राकृतिक आपदाएँ (भूकंप):
  • जनवरी में तिब्बत में 7.1 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 126 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई।
  • मार्च में म्यांमार में 7.7 की तीव्रता का भूकंप आया, जिससे 1,000 से अधिक लोग मारे गए।
  • जुलाई में रूस के कामचटका प्रायद्वीप के तट पर 8.8 की तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप आया, जिससे 4 मीटर तक की लहरें उठीं।
  • अगस्त में अफगानिस्तान में 6.0 की तीव्रता का भूकंप आया, जिसमें 2500 से अधिक लोगों की मौत हुई।
 
भविष्य की आशंकाएं: ज्योतिषियों का मानना है कि 2025 से भी अधिक खतरनाक वर्ष 2026 हो सकता है। हिंदू संवत्सर के अनुसार, 19 मार्च 2026 से रौद्र नामक संवत्सर शुरू होगा, जिसमें बड़े पैमाने पर राजनीतिक बदलाव होने की संभावना है। कुछ ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि इस दौरान एक महायुद्ध हो सकता है, जो बड़े नरसंहार का कारण बनेगा।

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