26 मई बुधवार को वैशाख पूर्णिमा का पर्व रहेगा जिसे पीपल पूर्णिमा और बुद्ध पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह एक स्वयं सिद्ध मूहर्त होता है। आओ जानते हैं कि इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने का क्या है महत्व।
1. इसे पीपल पूर्णिमा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस दिन पीपल की पूजा करने से ग्रह और पितृ दोष का निवारण हो जाता है।
2. पीपल पूर्णिमा के दिन सभी प्रकार शुभ मांगलिक कार्य कर सकते हैं। इसके लिय गुरु सूर्य बल देखने की आवश्कता नहीं होती है।
3. इस दिन पीपल की विधिवत पूजा अर्चना करने से शनि, गुरु सहित सभी ग्रह शुभ फल प्रदान करने लगते हैं।
4. इस दिन पीपल के पौधे को लगाने से कई प्रकार के दोष दूर होते हैं और देवगुरु बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है।
5. शास्त्रों के अनुसार वैशाख पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। जो इस दिन पीपल की पूजा करता है उसके घर में धन समृद्धि बनी रहती है।
6. इस दिन पीपल की परिक्रमा करने का महत्व रहता है।अश्वत्थोपनयन व्रत के संदर्भ में महर्षि शौनक कहते हैं कि मंगल मुहूर्त में पीपल वृक्ष की नित्य तीन बार परिक्रमा करने और जल चढाने पर दरिद्रता, दु:ख और दुर्भाग्य का विनाश होता है। पीपल के दर्शन-पूजन से दीर्घायु तथा समृद्धि प्राप्त होती है। अश्वत्थ व्रत अनुष्ठान से कन्या अखण्ड सौभाग्य पाती है।
वैशाख महीने की पूर्णिमा इस साल 26 मई, दिन बुधवार को पड़ रही है। इस दिन पूर्णिमा तिथि 25 मई की रात 8 बजकर 29 मिनट से शुरू होकर 26 मई की शाम 4 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। वैशाख पूर्णिमा के दिन सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है। वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन धर्मराज व्रत रखा जाता है। मान्यता है कि बैशाख पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करके दान पुण्य करने से कुंभ में स्नान के समान पुण्य प्राप्त होता है।