Parijat Yoga In Astrology: कुंडली के कई तरह के योग होते हैं जैसे गजकेसरी योग, शश योग, राजयोग, विपरीत योग, पिशाच योग, विषयोग, केमद्रुम योग, अतिगंड योग, लक्ष्मी नारायण योग, चांडाल योग, बुधादित्य योग, आनन्दादि, मालव्य योग, हंस राजयोग, अंगारक योग, वैधृति योग, विधवा योग, अखंड साम्राज्य योग, गजलक्ष्मी योग, आदि। हर तरह के योग का जीवन में अलग अलग प्रभाव होता है। आओ जानते हैं कि क्या होता है पारिजात योग और क्या है इसका प्रभाव।
क्या होता है पारिजात योग : किसी भी कुंडली में प्रथम भाव का स्वामी यानी लग्नेश जिस किसी भी भाव में विराजमान हो और उस भाव का स्वामी ग्रह या फिर उस राशि के नवम भाव का स्वामी यदि केंद्र के भाव या त्रिकोण भाव में स्थित हो तो पारिजात योग का निर्माण होता है। यानी लग्नेश जिस राशि में होता है उस राशि का स्वामी कुंडली में उच्च स्थान पर हो। केंद्र के भाव यानी प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव और त्रिकोण यानी पंचम और नवम भाव।
पारिजात योग का प्रभाव : यह योग जिस किसी की भी कुंडली में होता है वह राजा जैसा जीवन बिताता है। समान में उसका मान सम्मान होता है। उसकी अलग ही पहचान होती है। धन समृद्धि जरूर रहती है। जातक हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है, क्योंकि उसे भाग्य का पूरा साथ मिलता है। साथ ही सभी भौतिक सुविधाओं की प्राप्ति होती है। ऐसे जातक राजसी पशु पालने के शौकीन भी होते हैं।