प्राचीनकाल से ही मानव जाति के मन में नियति के गूढ़ रहस्यों को भेदकर अपने भविष्य को जान लेने की लालसा रही है। इसी लालसा ने ज्योतिष विद्या को जन्म दिया। मानव ने ग्रहों की चालों का सूक्ष्म अध्ययन कर भौतिक और मानव जीवन में घटित होने वाली घटनाओं पर, उनके प्रभाव को जानने का यत्न किया।
इसी क्रम में उसने अनुभव किया कि ग्रहों के साथ-साथ अंक भी जीवन जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं। अंकों के रहस्य और शक्ति को जानने का प्रयास हजारों वर्षों से होता रहा है।
प्राचीन ऋषि-मनीषियों को अंकों की शक्ति का पता था, किंतु पूरी विद्या वे दुनिया को नहीं सौंप, कुछ अपने साथ ही ले गए। तंत्रों के अंक चक्र तो अब भी मिल जाएंगे किंतु उनके फल में क्या गणित था, यह बता पाना संभव नहीं है। फिर भी जो भी उनसे पाया उसे और आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए तथा इसके लिए अनुसंधान करने की आवश्यकता है।
ऐसे क्रम में संयुक्त अंक या भाग्य अंक का खेल मानव जीवन में कैसे होता है, एक दिलचस्प कड़ी है ज्योतिष-विद्या की। संयुक्त का अर्थ होता है संयोग करना यानी जोड़ना। जन्म की अंग्रेजी तारीख, जन्म का अंग्रेजी महीना और अंग्रेजी सन् तीनों की विविध संख्याओं को जोड़कर संयुक्त अंक या भाग्यांक बनाया जाता है। मान लीजिए किसी व्यक्ति का जन्म 26 जून 1982 को हुआ-
तारीख = 26 = 2+6= 8
महीना = 6
सन् = 1982 = 1+9+8+2 = 20
इन तीनों को जोड़ने से (8+6+20), 34 संख्या आई। अब 3+4 को जोड़कर सूक्ष्म संख्या 7 निकाल ली। यानी भाग्यांक 7 हुआ। इस अंक का बहुत महत्व है इसलिए इसे भाग्य का चमत्कारिक अंक भी कहते हैं।
भाग्यांक 1 के लिए भाग्यशाली वर्ष वही सिद्ध होंगे जिनका योग 1 होता है या फिर मित्र अंकों से संबंधित वर्ष भी बेहतर सिद्ध होंगे, जैसे 1 भाग्यांक के लिए सन् 1999, 2008, 2017 उत्तम सिद्ध होंगे और उसके मित्र अंक 3, 5, 7 सहायक सिद्ध होंगे।
1 का मित्र अंक 3, 5, 7 है। 2 का मित्र अंक 4 और 8 है। 3 का मित्र अंक 1, 5, 7, 6, 9 है। 4 का मित्र अंक 2 और 8 है। 5 का मित्र अंक 1, 3, 7 और 10 है। 6 का मित्र अंक 3 और 9 है। 7 का मित्र अंक 1, 3 तथा 5 है। 8 का मित्र अंक 2 और 4 है। 9 का मित्र अंक 3 और 6 है। यानी कुल भाग्यांक 9 हुए और सभी अंकों को जोड़कर 1 से 9 संख्या का सूक्ष्म अंक निकाल लिया जाता है।
भाग्यांक 1- भाग्यांक 1 के लिए शुभ वार- रविवार और बृहस्पतिवार हैं। शुभ मास- जनवरी, मार्च, मई, जुलाई और अक्टूबर हैं। शुभ तारीखें- 1, 10, 19, 28 हैं।
भाग्यांक 2- भाग्यांक 2 के लिए शुभ वार- सोमवार और बुधवार हैं। शुभ मास- फरवरी, अप्रैल, अगस्त और नवंबर हैं। शुभ तारीखें- 2, 4, 8, 11, 16, 20, 26, 29 और 31 हैं।
भाग्यांक 3- भाग्यांक 3 के लिए शुभ वार- मंगलवार और शुक्रवार हैं। शुभ मास- मार्च, मई, जुलाई, जून और सितंबर और दिसंबर हैं। शुभ तारीखें- 3, 6, 9, 12, 15, 18, 20, 21, 24, 27 और 30 हैं।
भाग्यांक 4- भाग्यांक 4 के लिए शुभ वार- बुधवार और सोमवार हैं। शुभ मास- अप्रैल, फरवरी और अगस्त हैं। शुभ तारीखें- 2, 4, 8, 13, 16, 20, 22, 26 और 31 हैं।
भाग्यांक 5- भाग्यांक 5 के लिए शुभ वार- बृहस्पतिवार, शनिवार और बुधवार हैं। शुभ मास- मई, जनवरी, मार्च और जुलाई हैं। शुभ तारीखें- 5, 10, 14, 19, 23, 25 और 28 हैं।
भाग्यांक 6- भाग्यांक 6 के लिए शुभ वार- शुक्रवार और मंगलवार हैं। शुभ मास- जून और सितंबर हैं। दिसंबर हैं। शुभ तारीखें- 6, 9, 15, 18 और 24 हैं।
भाग्यांक 7- भाग्यांक 7 के लिए शुभ वार- शनिवार, बृहस्पतिवार और बुधवार शुभ हैं। शुभ मास- जुलाई, जनवरी, मार्च, और मई हैं। शुभ तारीखें- 7, 14, 16, 25 और 26 हैं।
भाग्यांक 8- भाग्यांक 8 के लिए शुभ वार- सोमवार और बुधवार हैं। शुभ मास- जनवरी, अगस्त, फरवरी और अप्रैल हैं। शुभ तारीखें- 4, 8, 16, 17 व 26 हैं।
भाग्यांक 9- भाग्यांक 9 के लिए शुभ वार- मंगलवार और शुक्रवार हैं। शुभ मास- सितंबर, मार्च तथा जून हैं। शुभ तारीखें- 9, 15, 18 और 27 हैं।