Shukra vakri set 2023: शुक्र का तारा जब अस्त हो जाता है तो सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं। इस बार शुक्र ग्रह वक्री होकर अस्त हुआ था। चंद्रमा के आसपास जो तारा नजर आता है वहीं शुक्र तारा है। अब यह आसमान में पुन: दिखाई देने लगेगा। यानी शुक्र का तारा अब उदय होने वाला है। शुक्र के उदय होने से पुन: सभी तरह के शुभ कार्य प्रारंभ हो जाएंगे।
7 अगस्त को शुक्र का वक्री गति में चलते हुए कर्क राशि में गोचर हुए था। शुक्र ग्रह ने इस वर्ष पहली बार 30 मई, 2023 को 19 बज कर 39 मिनट पर कर्क राशि में गोचर किया था और फिर 7 जुलाई, 2023 को यह सिंह राशि में चले गए थे। इसके बाद 23 जुलाई, 2023 को वक्री हुए और अंत में अपनी वक्री गति में ही 7 अगस्त, 2023 को पुनः कर्क राशि में गोचर किया।
शुक्र 8 अगस्त को कर्क में अस्त : कर्क राशि में गोचर करने के बाद 8 अगस्त को शुक्र का तारा वक्री अवस्था में ही अस्त हो गया था। शुक्र के गोचर की अवधि लगभग 23 दिन की होती है यानी यह एक राशि में 23 दिनों तक मौजूद रहते हैं। इस बार शुक्र वक्री अवस्था में 7 अगस्त 2023 से 2 अक्टूबर 2023 तक 57 दिनों के लिए कर्क राशि में मौजूद रहेंगे।
18 अगस्त को होगा शुक्र का उदय :
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शुक्र देव 18 अगस्त 2023 की शाम 07 बजकर 17 मिनट पर कर्क राशि में उदित हो रहे हैं।
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इस बार 8 अगस्त 2023 को शुक्र का तारा अस्त हो जाएगा और फिर 18 अगस्त को पुन: उदय होगा।
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शुक्र सूर्य के दोनों ओर 10 डिग्री या इससे अधिक समीप आने पर अस्त माना जाता है। यानी वह आकाश में दिखाई नहीं देता है।
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यह ग्रह पूर्व में अस्त होने के बाद पश्चात पुन: उदित होता है।
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उदय के 240 दिन वक्री चलता है। इसके 23 दिन पश्चात अस्त हो जाता है।
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पश्चिम में अस्त होकर 9 दिन के पश्चात यह पुन: पूर्व दिशा में उदित होता है।