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कौन-से 10 देवता होते हैं भादो मास में प्रसन्न

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, बुधवार, 1 सितम्बर 2021 (13:06 IST)
भाद्रपद हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष का छठा महीना और चतुर्मास का दूसरा महीना है। इसे भादो भी कहते हैं। आओ जानते हैं कि इस पवित्र माह में कौनसे 10 देवताओं की पूजा करने से वे होते हैं प्रसन्न।
 
 
1. श्रीकृष्‍ण : इसी माह में कृष्‍ण जन्मोत्सव मनाया जाता है, क्योंकि उनका जनन्म भाद्रपद की अष्टमी को हुआ था। डोल ग्यारस तक उनके जन्मोत्सव की धूम रहती है। इस माह में उनकी पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को बलरामजी की जयंती भी रहती है।
 
2. माता पार्वती : इस माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाता है। व्रत रखकर माता दुर्गा, पार्वती और शिवजी की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं।
 
3. गणेश जी : भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक गणेशोत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं।
 
4. विश्वकर्मा जी : भाद्रपद की परिवर्तनी एकादशी के दिन देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं।
 
5. भगवान विष्णु : भाद्रपद की चतुर्दशी को भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा होती है। इसी पूजा से अनंत भगवान प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा भाद्रपद की अजा और परिवर्तनी एकादशी के दिन भी भगवान विष्णु की पूजा होती है।
 
6. श्रीराधा जी : भाद्रपद की कृष्‍ण पक्ष की अष्टमी को श्री कृष्‍ण का जन्म और शुक्ल अष्टमी को राधाजी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। राधा अष्टमी के दिन राधाजी की श्री कृष्‍ण के साथ पूजा करने से वे प्रसन्न होती हैं।
 
7. पितृदेव : भाद्रपद माह की पूर्णिमा से ही श्राद्ध पक्ष प्रारंभ हो जाता है। इस माह में पितृदेव या पितरों के देव अर्यमा को प्रसन्न किया जाता है। ऋषियों की पूजा के साथ पितृदेव की पूजा करें।
 
8. शिव जी : चातुर्मास प्रारंभ होने के बाद विष्णुजी पाताल लोग में योगनिद्रा में चले जाते हैं तब चार माह के लिए शिवजी अपने रुद्र रूप में सृष्‍टि का संचालन करते हैं अत: इस माह में शिवजी के रुद्र रूप की पूजा करने से वे प्रसन्न होते हैं। प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के दिन उनकी पूजा करने चाहिए।
 
9. सूर्यदेव : इस माह में सूर्यदेव की पूजा भी की जाती है। उन्हें अर्घ्य देने से वे प्रसन्न होते हैं।
 
10. हनुमान जी : भाद्रपद के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगलवार मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन रावण ने उनकी पूंछ में आग लगा दी थी। जिसके चलते लंका दहन हो गया था।
 

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