इस वर्ष 9 सितंबर 2021, गुरुवार को हरतालिका तीज मनाई जा रही है। प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल तृतीया को सौभाग्यवती स्त्रियों का यह पवित्र पर्व आता है। इस दिन निर्जल रहकर व्रत किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं तथा कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने की कामना से यह व्रत रखती हैं। हरतालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
भाद्रपद शुक्ल तृतीया को आने वाले तीज व्रत की भारतीय महिलाओं के सबसे कठिन व्रतों में गिनती होती है। यह एक ऐसा व्रत है जिसे सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। यह पर्व यूपी, बिहार, मध्यप्रदेश समेत कई उत्तर-पूर्वीय राज्यों में श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है।
हरतालिका तीज पर भगवान शिव, माता पार्वती तथा भगवान श्री गणेश की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती हैं। हरतालिका व्रत निराहार और निर्जला रहकर किया जाता है। मान्यतानुसार इस व्रत के दौरान महिलाएं सुबह से लेकर अगले दिन सुबह सूर्योदय तक जल ग्रहण तक नहीं कर सकतीं। सुहागिन महिलाएं चौबीस घंटे तक बिना अन्न और जल के हरतालिका तीज का व्रत रहती हैं।
हरतालिका तीज पूजन की संक्षिप्त विधि
1. हरतालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
2. सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
3. इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
4. तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
5. इसके बाद श्री गणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।
हरतालिका तीज 2021 के शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज तिथि का प्रारंभ 09 सितंबर 2021, गुरुवार के दिन सुबह 02.33 मिनट पर होगा और 09 सितंबर को रात्रि 12.18 मिनट पर तृतीया तिथि समाप्त होगी।
प्रात:काल पूजा मुहूर्त- सुबह 06.03 मिनट से सुबह 08.33 मिनट तक।
प्रदोषकाल पूजा मुहूर्त - शाम 06.33 मिनट से रात 08.51 मिनट तक।
हरतालिका तीज के मंत्र-
* 'उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये'
* कात्यायिनी महामाये महायोगिनीधीश्वरी
नन्द-गोपसुतं देवि पतिं में कुरु ते नम:
* गण गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।