चंद्र देव सौम्य और शीतल देवता हैं  लेकिन कुंडली में अशुभ हो तो कई परेशानियां देते हैं आइए जानते हैं उन्हें शुभ कैसे बनाया जाए... 
 
 			
 
 			
					
			        							
								
																	
	 
	एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ सों सोमाय नम:।'
	तांत्रिक मंत्र- 'ॐ श्रां श्रीं श्रौं चन्द्रमसे नम:।'
	जप संख्या- 11,000 (11 हजार)।
	 
	(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
	 
	दान सामग्री- श्वेत वस्त्र, चावल, सफेद पुष्प, शकर, कर्पूर, मोती, चांदी, शंख, घृतपूर्ण, कुंभ, मिश्री, दूध-दही, स्फटिक आदि।
								
								
								
										
			        							
								
																	
	 
	(उक्त सामग्री को श्वेत वस्त्र में बांधकर उसकी पोटली बनाएं तत्पश्चात उसे मंदिर में अर्पण करें अथवा बहते जल में प्रवाहित करें।)
	 
	दान का समय- संध्या।
	हवन हेतु समिधा- पलाश।
	औषधि स्नान- पंचगव्य, खिरनी की जड़, श्वेत चंदन, श्वेत पुष्प मिश्रित जल से।
	 
	अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय।
	 
	* रविवार को कच्चा दूध अपने सिरहाने रखकर सोएं एवं सोमवार को प्रात: उसे बबूल के वृक्ष पर चढ़ा दें।
	* चावल दान करें।
	* सफेद गाय दान करें।
	* श्वेत वस्त्रों का प्रयोग न करें।
	* चंद्र यंत्र को चांदी पर उत्कीर्ण करवाकर नित्य पूजा करें।
	 
	-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
	प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
	 
	नोट : इस लेख में व्यक्त विचार/विश्लेषण लेखक के निजी हैं। इसमें शामिल तथ्य तथा विचार/विश्लेषण वेबदुनिया के नहीं हैं और वेबदुनिया इसकी कोई ज़िम्मेदारी नहीं लेती है।
	 
	साभार : ज्योतिष : एक रहस्य