अंगुलियों के नीचे ग्रहों के पर्वत होते हैं। इन पर्वतों की स्थिति को जानकर आप तय कर सकते हैं कि आपका कौनसा ग्रह कमजोर और कौनसा ग्रह बलवाल है। इसके अनुसार ही उपाय करेंगे तो बेहतर होगा। यहां प्रस्तुत है संक्षिप्त जानकारी।
1. एक हाथ में 4 अंगुलियां और 1 अंगूठा होता है। अंगुलियों में 3 पोरे और अंगूठे में 2 पोरे होते हैं। हथेली में ढेर सारी रेखाएं होती हैं। पहली तर्जनी अंगुली गुरु की अंगुली है। दूसरी अंगुली मध्यमा शनि की अंगुली। तीसरी अनामिका अंगुली सूर्य की अंगुली और चौथी सबसे छोटी अंगुली बुध की अंगुली है।
2. तर्जनी अंगुली के नीचे के हिस्से को गुरु पर्वत कहते हैं। यह पर्वत उभरा हुआ और स्पष्ट है तो गुरु अच्छा मना जाता है।
3. इसी तरह मध्यमा के नीचे शनि पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो शनि अच्छा माना जाता है।
4. अनामिका के नीचे सूर्य पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो सूर्य अच्छा माना जाता है।
5. सबसे छोटी कनिष्ठा अंगुली के नीचे बुध का पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो शनि अच्छा माना जाता है।
6. बुध के पर्वत के नीचे उर्ध्व मंगल का पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो मंगल अच्छा माना जाता है।
7. सूर्य और शनि पर्वत के नीचे मध्यम मंगल पर्वत होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो मंगल अच्छा माना जाता है।
8. गुरु पर्वत के नीचे निम्न मंगल होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो माना जाएगा कि नीच का मंगल बलवान है।
9. संपूर्ण अंगूठा ही शुक्र का होता है। यह भी उभरा और स्पष्ट है तो शुक्र अच्छा माना जाता है।
10. अंगूठे के नीचे शुक्र का स्थान है और उसके सामने हथेली के दूसरी ओर चंद्र का स्थान है। यह भी ठीक ठाक है तो शुभ है।
11. इसी तरह हथेली के बीचोबीच ज्योतिषानुसार राहु और मणिबद्ध अर्थात कलाई में केतु का स्थान होता है जबकि लाल किताब के अनुसार कलाई में राहु और केतु दोनों होते हैं। जीवनरेखा की समाप्ति स्थान कलाई के ऊपर पर बना राहु पर्वत होता है।
12. बृहस्पति पर्वत पर चक्र का होना धनवान होने का संकेत है। शनि पर्वत पर चक्र होना अचानक धनलाभ करता है। सूर्य पर्वत पर चक्र होना व्यक्ति को समाज में प्रतिष्ठा दिलाता है। बुध पर्वत पर चक्र होना सफल व्यापारी और वक्त बनाता है। चंद्र, मंगल और शुक्र पर्वत पर चक्र होना अशुभ है।
उल्लेखनी है कि पर्वतों का कटा फटा या गड्डे में धंसा होना यह संकेत देता है कि वह ग्रह बलवान नहीं है। कौन सी रेखाएं कहीं से भी निकलकर यदि पर्वतो को क्रास करती है तो उसके अलग मायने होते हैं, क्योंकि प्रत्येक रखा का उद्गम और उस रेखा का नाम जानना होगा।