Shani retrograde date time and effect 2023 : 17 जून 2023 को रात्रि करीब 10 बजकर 56 मिनट पर शनि ग्रह कुंभ राशि में वक्री गोचर करने लगेंगे। इसके 4 माह बाद वे फिर 4 नवंबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर मार्गी हो जाएंगे। शनि के वक्री होने से केंद्र त्रिकोण राजयोग भी बन रहे हैं। शनि की वक्री चाल के चलते कई राशियों पर शुभ और कुछ पर अशुभ असर देखने को मिलेगा।
शनि की वक्र दृष्टि :
1. सूर्य और चंद्र को छोड़कर सभी ग्रह वक्री होते हैं। वक्री अर्थात उल्टी दिशा में गति करने लगते हैं। जब यह वक्री होते हैं तब इनकी दृष्टि का प्रभाव अलग होता है। वक्री ग्रह अपनी उच्च राशिगत होने के समतुल्य फल प्रदान करता है। कोई ग्रह जो वक्री ग्रह से संयुक्त हो उसके प्रभाव मे मध्यम स्तर की वृद्धि होती है। उच्च राशिगत कोई ग्रह वक्री हो तो, नीच राशिगत होने का फल प्रदान करता है।
इसी प्रकार से जब कोई नीच राशिगत ग्रह वक्री होता जाय तो अपनी उच्च राशि में स्थित होने का फल प्रदान करता है। इसी प्रकार यदि कोई उच्च राशिगत ग्रह नवांश में नीच राशिगत होने तो तो नीच राशि का फल प्रदान करेगा। कोई शुभ अथवा पाप ग्रह यदि नीच राशिगत हो परन्तु नवांश मे अपनी उच्च राशि में स्थित हो तो वह उच्च राशि का ही फल प्रदान करता है।
2. इस ग्रह की दो राशियां है- पहली कुंभ और दूसरी मकर। यह ग्रह तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है। जब यह ग्रह वक्री होता है तो स्वाभाविक रूप से तुला राशि वालों के लिए सकारात्मक और मेष राशि वालों के लिए नकारात्मक असर देता है। लेकिन शनि जब अन्य राशियों में भ्रम करता है तो उसका अलग असर होता है। यदि वह मेष की मित्र राशि धनु में भ्रमण कर रहा है तो मेष राशि वालों पर नकारात्मक असर नहीं डालेगा। केंद्र में शनि (विशेषकर सप्तम में) अशुभ होता है। अन्य भावों में शुभ फल देता है। प्रत्येक ग्रह अपने स्थान से सप्तम स्थान पर सीधा देखता है। सातवें स्थान के अलावा शनि तीसरे और दसवें स्थान को भी पूर्ण दृष्टि से देखता है। शनि जिस राशि में है वहां से उक्त स्थान को वक्री देखता है।
शनि की वक्री दृष्टि का अशुभ असर:
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कहते हैं कि जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है तो शनिदेव की वक्र दृष्टि उस पर पड़ती है और तब शनिदेव के आदेश के तहत उनके अनुचर राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं।
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ब्याज का धंधा करने वाले, व्याभिचारी, शराबी, शोषणकर्ता, नास्तिक, जुआरी और गंदे लोगों पर शनि की वक्री दृष्टि का अशुभ असर होता है।
शुभ अशुभ फल :
कोई भी ग्रह यदि वक्री हो रहा है तो वह प्रत्येक व्यक्ति की कुंडली के हिसाब से ही शुभ या अशुभ फल देगा। उदारणार्थ गुरु के वक्री होने पर उसके शुभ या अशुभ फल देने के प्रभाव में कोई अंतर नहीं आता अर्थात किसी कुंडली विशेष में सामान्य रूप से शुभ फल देने वाले गुरु वक्री होने की स्थिति में भी उस कुंडली में शुभ फल ही प्रदान करेंगे तथा किसी कुंडली विशेष में सामान्य रूप से अशुभ फल देने वाले गुरु वक्री होने की स्थिति में भी उस कुंडली में अशुभ फल ही प्रदान करेंगे। हां, वक्री होने से गुरु के व्यवहार जरूर बदलाव आता है जैसे वक्री होने की स्थिति में गुरु कई बार शुभ या अशुभ फल देने में देरी कर देते हैं। यही नियम अन्य ग्रहों पर भी लागू होते हैं।
ज्योतिषियों का एक वर्ग के अनुसार अगर कोई ग्रह अपनी उच्च की राशि में स्थित होने पर वक्री हो जाता है तो उसके फल अशुभ हो जाते हैं तथा यदि कोई ग्रह अपनी नीच की राशि में वक्री हो जाता है तो उसके फल शुभ हो जाते हैं।