काम, कला और सुंदरता के ग्रह शुक्र की शुभता कुंडली में बहुत जरूरी है। जीवन की समस्त भौतिक संपन्नताएं उन्हीं से मिलती है। आइए जानें उपाय.. .
शुक्र एकाक्षरी बीज मंत्र- 'ॐ शुं शुक्राय नम:।'
तांत्रिक मंत्र- 'ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।'
जप संख्या- 16,000 (16 हजार)।
(कलियुग में 4 गुना जाप एवं दशांश हवन का विधान है।)
दान सामग्री- श्वेत वस्त्र, श्रृंगार की वस्तुएं, हीरा, स्फटिक, चांदी, चावल, शकर, इत्र, श्वेत चंदन, घी, श्वेत पुष्प, दूध-दही।
(उक्त सामग्री को वस्त्र में बांधकर उसकी पोटली बनाएं तत्पश्चात उसे मंदिर में अर्पण करें अथवा बहते जल में प्रवाहित करें।)
दान का समय- सूर्योदय।
हवन हेतु समिधा- गूलर।
औषधि स्नान- जायफल, केसर व इलायची मिश्रित जल से।
अशुभ प्रभाव कम करने हेतु अन्य उपयोगी उपाय।
* शुक्रवार को किसी एकाक्षी (काने) ब्राह्मण को खीर खिलाएं।
* 5 शुक्रवार खीर बनाकर किसी मंदिर में दान करें।
* पत्थर पर श्वेत चंदन का लेप कर बहते जल में प्रवाहित करें।
* शुक्रवार को घर अथवा मंदिर में तुलसी का पौधा रोपित करें।
* 7 शुक्रवार को चींटियों को आटा व शकर मिश्रित कर डालें।
* सवत्सा श्वेत गाय का दान करें।
* शुक्र यंत्र को चांदी के पत्र पर उत्कीर्ण करवाकर चमेली के नीचे गहराई में दबा दें।
* शुक्र यंत्र को चांदी पर उत्कीर्ण करवाकर नित्य पूजा-अर्चना करें।
-ज्योतिर्विद् पं हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र
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साभार : ज्योतिष : एक रहस्य