लग्नस्थ मंगल स्वगृही, मित्र क्षेत्री या उच्च का हो तो जातक पुष्ट देह का, अच्छी कद-काठी का, निरोगी व अच्छे कार्य करके समाज में पद-यश पाने वाला होता है। पाप प्रभाव में आया मंगल जातक को क्रोधी, झगड़ालू, व्यर्थ प्रलाप करने वाला बनाता है। ऐसे लोगों को दाँतों के रोग व उदर रोग होने की आशंका रहती है। रक्तचाप की शिकायत भी रहती है।