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कुंभ-चारित्रिक विशेषताएँ
चरित्र के प्रारंभिक लक्षण - सनकी, अस्थिर चित्त, अक्खड़, स्वयं के व्यक्तित्व को सिद्ध करने के लिए दूसरों को सदमा पहुंचाना, स्वयं की स्वतंत्रता का दावा करने के लिए नियमों की अवहेलना करना, संभ्रांत प्रवृत्ति का होना, मेलजोल के द्वारा बोरियत से निजात पाने की इच्छा करना, घरेलू जीवन की अवहेलना करके अत्यधिक मेलजोल बढ़ाना, अन्य समूहों के प्रति अभिमानी व्यवहार। चरित्र के उत्तरकालीन लक्षण- सामूहिक चेतना की समझ उपत्न होना, परोपकारी, मानवीय, अव्यक्तिक प्रेम तथा सामूहिक क्रियाशीलता के द्वारा दिल को जीतना, सामूहिक शक्ति को अलग करने की बजाय स्वयं की शक्ति को सामूहिक शक्ति में समायोजित करना सीखना, अन्य समूहों के प्रति सहयोग की भावना रखना, अव्यक्तिक प्रेम, सार्वत्रिक भाईचारा तथा विश्व शांति के आदर्शों के प्रति समर्पित होना, सभी मानवीय समूहों को असंगठित संयोजित रूप में देखना। अंतःकरण के लक्षण- पराव्यक्तिगत आदर्श के प्रति एक समूह में कार्य करना, नवीन युग (न्यू एज) लाने में दूसरों के साथ मिलकर कार्य करके सहायता करना, स्वयं की व्यक्तिगत इच्छा का सामूहिक लक्ष्यों के साथ समायोजन करना, सर्वाधिक लोगों की सर्वाधिक भलाई तथा समूह की अधिकतम भलाई के द्वारा प्रेरित होना, उन संयोजनों, जो लोगों तथा समूहों को असंगठित रूप से एक साथ मिलाते हैं, के निर्माण तथा देखभाल में सहायता करने के लिए कार्य करना, समूह का प्रत्येक सदस्य जो भी प्रस्तुत करता है उसे प्रेमपूर्वक स्वीकार करना।